बच्चे
इनकी दुनिया में अभी शेष है प्रेम और
घृणा भी, करुणा और पृहा भी, तृप्ति और तृषा
भी, क्रोध और क्षमा भी, विस्मय और जिज्ञासा
भी, अन्धकार और प्रभा भी, अति संवेद और
निर्वेद भी. इनके लघु गात में है एक
ऐसा दिल जो धड़कने की खानापूरी
नहीं करता. दरअसल धड़कता है पूरी
मुस्तैदी से और उसमें होता है अतिरेक
भावनाओं का. भावनाएँ ही करती
हैं इनके फैसले. बुद्धि के दास नहीं हुए
हैं अभी ये. समझौता शब्द इनके लिए
अबूझ है अभी. क्योंकि ये अनादि सत्यव्रती
जिनने नहीं संभाला अभी अपना होश,
ही हैं निर्गुण, निष्कलुष, निर्विकार और निर्दोष.
इष्ट देव सांकृत्यायन
घृणा भी, करुणा और पृहा भी, तृप्ति और तृषा
भी, क्रोध और क्षमा भी, विस्मय और जिज्ञासा
भी, अन्धकार और प्रभा भी, अति संवेद और
निर्वेद भी. इनके लघु गात में है एक
ऐसा दिल जो धड़कने की खानापूरी
नहीं करता. दरअसल धड़कता है पूरी
मुस्तैदी से और उसमें होता है अतिरेक
भावनाओं का. भावनाएँ ही करती
हैं इनके फैसले. बुद्धि के दास नहीं हुए
हैं अभी ये. समझौता शब्द इनके लिए
अबूझ है अभी. क्योंकि ये अनादि सत्यव्रती
जिनने नहीं संभाला अभी अपना होश,
ही हैं निर्गुण, निष्कलुष, निर्विकार और निर्दोष.
इष्ट देव सांकृत्यायन
A305EFA55F
ReplyDeletehacker kirala
hacker bul
tütün dünyası
-
-