मेरी चीन यात्रा - 8
यह यात्रावृत्त शुरू से पढ़ने के लिए कृपया चटका लगाएं: पहली , दूसरी , तीसरी , चौथी , पांचवीं , छठी एवं सातवीं कड़ी डॉ. अरविंद मिश्र एक घंटे के उद्घाटन समारोह के पश्चात मुख्य हाल में ही कई विषयों पर विचारोत्तेजक विमर्श था। बीच में लंच भी था। चायनीज अपने दैनिक कार्यकलापों में नाश्ता लंच डिनर जल्दी करते हैं। साढ़े छह बजे नाश्ता , 12 बजे लंच और शाम को जल्दी ही छह बजे से डिनर शु रू । हमें कूपन भी इसी तरह मिले थे। एक बड़े से आयोजन परिसर में मुख्य कार्यक्रम हाल , प्रदर्शनी हाल , समाना ंत र सत्रों के कक्ष और भोजन का हाल भी था जो लगभग दस मिनट की चहलकदमी पर था। पूरे परिसर में कई खानपान और स्मृति चिह्नों की सजी - धजी दुकाने ं भी थीं जिससे खूब चहल - पहल रहती थी। आयोजकों की ओर से प्रतिभागी स्वतंत्र थे , चाहे वे चर्चा परिचर्चा या विमर्श से ज्ञानार्जन करें या घूमे फिरें। मेरा , डॉ . नरहरि और डॉ . सामी का किसी पैनेल में नाम नहीं था और कहीं बोलने का भी अवसर नहीं घोषित था । इसलि ए हम भी बिल्कुल मुक्त महसूस कर रहे थे कि ंतु यह तनिक क्षोभजनक तो था ही कि क्या हमें केवल मूक दर्शक के त