Bhairo baba - Azamgarh ke. Part-3
महराजगंज और भैरव बाबा : पार्ट -3 ---हरिशंकर राढ़ी यदि भैरव बाबा की कहानी शुरू होती है और उसके साथ इस स्थान के इतिहास की चर्चा होती है तो निकटवर्ती बाजार महराजगंज को उपेक्षित नहीं किया जा सकता। यह क्षेत्र आजमगढ़ जनपद में बहुत महत्त्वपूर्ण है और इसका इतिहास भारत के स्वाधीनता संग्राम से जुड़ता है। स्वाधीनता संग्राम में आजमगढ़ का बहुत बड़ा योगदान रहा है और महराजगंज क्षेत्र इसमें अग्रणी। मैंने अपने पिछले लेख में भैरव जी स्थित जूनियर हाई स्कूल और ऊँचे टीले की चर्चा की थी। यह ऊँचा टीला, जहाँ आजकल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन है, ब्रिटिश शासन में एक अंगरेज शासक का निवास सह कार्यालय था। उस समय यहाँ नील की खेती होती थी और इस टीले के आसपास नील की फसल से नील निकाला जाता था, अर्थात उसका प्रसंस्करण होता था। मि0 कूपर (Mr Cooper) इसके प्रमुख परियोजना अधिकारी और स्वामी थे। अंगरेज कोई भी हो, उसका रुतबा किसी कैप्टन या कोतवाल से कम नहीं होता था। उसे भारतीय जनता को प्रताडित करने का हक था। कूपर साहब कोई अपवाद नहीं थे। उनका भी क्षेत्र में भयंकर आतंक था। सामान्यतः अशिक्षित जनता