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डिजिटल इंडिया पर लालित्य ललित की पैनी नज़र: प्रो.राजेश कुमार

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नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में डॉ लालित्य ललित के ताज़ा व्यंग्य संग्रह डिजिटल इंडिया का लोकार्पण बुधवार को किया गया। यह व्यंग्य संग्रह गीतिका प्रकाशन की सुश्री गीता पंडित ने किया। इस अवसर पर व्यंग्य समालोचक व केंद्रीय हिंदी संस्थान के न्यासी सदस्य प्रो राजेश कुमार ने कहा- आज हमारी सारी दुनिया डिजिटल हो चुकी है. आज हम चाहे किसी से बात करने की सोचें , चाहे हम किसी खरीदारी करने की सोच है या हम किसी से कोई व्यवहार करने की बात सोचें या हम कोई व्यापार करने की बात सोचें या हम कोई आंदोलन करने की बात सोचें , हर जगह है डिजिटल दुनिया हावी है. डिजिटल दुनिया के माध्यम से हम गरीबों के लिए आंदोलन करते हैं , नेताओं के लिए समर्थन जताते हैं और और इसके साथ ही हम अपने दैनिक जीवन की रोजमर्रा की चीजें भी डिजिटल दुनिया के माध्यम से ही करते हैं. ऐसे में लेखक कैसे इस दुनिया से अलग हो सकता है. लालित्य ललित ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अनेक कोणों से विचार किया है. चाहे वह मीडिया की दुनिया हो , चाहे वह सामाजिक मीडिया की दुनिया को , चाहे वह सामान्य रूप से हमें प्रभावित करने वाले डिजिटल दुनिया हो , उनकी कलम उ...

मामाजी ने मूल्यों को समझा था

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नई दिल्ली। प्रख्यात पत्रकार माणिकचंद्र वाजपेयी जी पर एकाग्र पुस्तक ‘ शब्दपुरुष : माणिकचंद्र वाजपेयी ’ का लोकार्पण बुधवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र , नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत एवं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया। पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन एव कला केंद्र ने संयुक्त रूप से किया है। कार्यक्रम में हरियाणा के पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी , वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय तथा प्रभात प्रकाशन के प्रबंध संपादक प्रभात कुमार भी मौजूद थे। ‘ शब्दपुरुष : माणिकचंद्र वाजपेयी ’ का लोकार्पण पुस्तक का संपादन इंदिरा कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी और भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने किया है। पुस्तक में ' मामाजी ' के नाम से प्रसिद्ध श्री माणिकचंद्र वाजपेयी जी के जीवन एवं पत्रकारिता पर लेखकों ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। इसके अलावा ' मामाजी ' के द्वारा लिखे गए चुनिंदा लेखों का संकलन भी इस किताब में है। इस संबंध में डा. सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि श्री म...

शब्द का संगीत

पिछले दिनों सम (सोसायटी फॉर एक्शन थ्रू म्यूजिक) और संगीत नायक पं 0 दरगाही मिश्र संगीत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सुरूचिपूर्ण सादगी भरे समारोह में पद्मभूषण डा 0 शन्नो खुराना ने दो महत्वपूर्ण सांगीतिक ग्रंथों का लोकार्पण किया. पहली पुस्तक भारतीय संगीत के नये आयाम - पं 0 विजयशंकर मिश्र द्वारा संपादित थी, जबकि दूसरी पुस्तक ‘ पं 0 विष्णु नारायण भातखंडे और पं 0 ओंकारनाथ ठाकुर का सांगीतिक चिंतन डा 0 आकांक्षी (वाराणसी) द्वारा लिखित. इस अवसर पर आयोजित पं 0 दरगाही मिश्र राष्ट्रीय परिसंवाद में विदुषी शन्नो खुराना, पं 0 विजयशंकर मिश्र (दिल्ली), मंजुबाला शुक्ला (वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान), अमित वर्मा (शान्ति निकेतन), डा 0 आकांक्षी, ऋचा शर्मा (वाराणसी) एवं देवाशीष चक्रवर्ती ने संगीत शिक्षा के क्षेत्र में पुस्तकों की भूमिका विषय पर शोधपूर्ण सारगर्भित व्याख्यान दिए. पं 0 विजयशंकर मिश्र ने परिसंवाद की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए बताया कि सबसे पहले प्रयोग होता है, फिर उस प्रयोग के आधार पर शास्त्र लिखा जाता है और फिर उस शास्त्र का अनुकरण दूसरे लोग करते हैं. अक्षर शब्द ...

चेहरा-विहीन कवि नहीं हैं दिविक रमेश : केदार

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कविता संग्रह 'गेहूं घर आया है' का दिल्ली में लोकार्पण ‘आधुनिक हिंदी कविता में दिविक रमेश का एक पृथक चेहरा है. यह चेहरा-विहीन कवि नहीं है बल्कि भीड़ में भी पहचाना जाने वाला कवि है. यह संकलन परिपक्व कवि का परिपक्व संकलन है और इसमें कम से कम 15-20 ऐसी कविताएँ हैं जिनसे हिंदी कविता समृद्ध होती है. इनकी कविताओं का हरियाणवी रंग एकदम अपना और विशिष्ट है. शमशेर और त्रिलोचन पर लिखी कविताएं विलक्षण हैं. दिविक रमेश मेरे आत्मीय और पसन्द के कवि हैं.’ ये उद्गार प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह ने किताबघर प्रकाशन से सद्य: प्रकाशित कवि दिविक रमेश के कविता-संग्रह ‘ गेहूँ घर आया है ’ के लोकार्पण के अवसर पर कहे। विशिष्ट अतिथि केदारनाथ सिंह ने इस संग्रह को रेखांकित करने और याद करने योग्य माना. कविताओं की भाषा को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्होंने कहा कि दिविक ने कितने ही ऐसे शब्द हिंदी को दिए हैं जो हिंदी में पहली बार प्रयोग हुए हैं. उन्होंने अपनी बहुत ही प्रिय कविताओं में से ‘पंख’ और ‘पुण्य के काम आए’ का पाठ भी किया. इस संग्रह का लोकर्पण प्रोफेसर नामवर सिंह , प्रोफेसर केदारनाथ सिंह और प्रोफे...

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