असहिष्णुताई पर रहनुमाई
पंथनिरपेक्षता को तो आपने मजाक बना दिया है. क्योंकि कुल मिलाकर एक पंथ का अंधविरोध और एक की अंधपक्षधरता ही आपके लिए पंथनिरपेक्षता है. अब आँख वाले और पढ़े-लिखे ही नहीं , दृष्टिबाधित लोग भी समझने लगे हैं. आपके पुरस्कार वहाँ वापस होते हैं जहाँ एक पंथविशेष का अपराधी पकड़ा जाता है , उसके खिलाफ़ आवाज उठती है या फिर वह चाहे जैसे सही मर जाता है. या पीट दिया जाता है. उसी पंथविशेष से जुड़ा एक व्यक्ति , जो पेशे से वकील है , पीट दिया गया. क्यों ? क्योंकि उसने मुरादाबाद जिले में पंथविशेष के लोगों के बीच सीएए के फ़ायदे गिनाए. इसके लिए सिर्फ पीटा ही नहीं गया , हुक्का-पानी भी बंद कर दिया गया. यानी इनकी मंशा इस विषय पर न तो कुछ सुनने की है और न समझने की. निश्चित रूप से यह संसार का सबसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है. आखिर यही तो है वैज्ञानिक दृष्टिकोण. वैज्ञानिक दृष्टिकोण और होता ही क्या है! जो भी आपके खिलाफ बात करे वह संघी. गोया संघी होना कोई गुनाह है. हालांकि समझ नहीं पाया आज तक कि अगर वामपंथी होना गुनाह नहीं है अगर कांग्रेसी होना गुनाह नहीं है अगर गांधीवाद...