
यात्रा वृत्तांत पंचमढ़ी के प्रपात ---हरिशंकर राढ़ी मध्यप्रदेश के विस्तृत मैदानी और पठारी क्षेत्रफल में यदि प्रकृति की सुंदरता निहारनी हो तो पंचमढ़ी के अलावा अन्य कोई विकल्प हो ही नहीं सकता। सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी स्थल का अंदाज ही निराला है। न तो किसी मुख्य रेलमार्ग या राजमार्ग पर होने के बावजूद समय-समय पर यहां पहुंचने वाले सैलानियों की बड़ी संख्या से इसकी रमणीयता और लोकप्रियता का अंदाजा लग जाता है। हाँ, एक बार इस पर्वतीय संुदरी के पास पहुंच जाने पर तन-मन की सारी थकान उतर जाती है। सुंदरता में चार चांद तब और लग जाते हैं यदि भ्रमण पावस काल में हो। वस्तुतः पंचमढ़ी घूमने का सर्वोत्तम समय वर्षाऋतु ही है। अगस्त महीने की उमस और दोपहरी की धूप झेलते हुए जब हमारी बस मैदानी इलाका पार कर सतपुड़ा की पहाड़ियों की सर्पीली सड़क पर चढ़ने लगी तो मौसम सुहावना हो आया। रिमझिम बूँदों के बीच हवा की शीतलता और प्राकृतिक सुंदरता ने हमारी आंखों को बांध लिया। यह मार्ग हिमालयी सड़कों की भांति खतरनाक नहीं लगता, इसलिए यात्री का पूरा ध्यान आनंद पर ही हो