Posts

Showing posts from January, 2018

पीठ, बेंच, डेस्क और चेयर

Image
इष्ट देव सांकृत्यायन  - नारायण नारायण! - कहिए देवर्षि , क्या हाल है मृत्युलोक का ? - हाल तो ठीक नहीं है प्रभु! माँ भारती तो आक्रांतप्राय हैं. वहाँ तो लोकतंत्र को लेकर चतुर्दिक शोर मचा हुआ है. - शोर मचा हुआ है ? कैसा शोर मचा है ? - भारत में लोकतंत्र के चारों खंबे चीख-चीख कर कह रहे हैं कि अब मेरा तारणहार ख़तरे में है. - चारों खंबे ? उनका तारणहार ? कौन है इन खंबों का तारणहार ? - हे प्रभु , ये उसे ही अपना तारणहार मानते हैं , जिसने इन्हें नौकरी पर रखा. यानी लोकतंत्र. - ओह! तो लोकतंत्र वहाँ ख़तरे में है ? - हाँजी प्रभू! लोकतंत्र वहाँ ख़तरे में है. भयंकर ख़तरे में. - अच्छा , तो अब इसका क्या निदान हो सकता है देवर्षि ? आप ही कुछ सुझाएँ! - क्या सुझाएँ प्रभू! इस पर शोध के लिए क़ायदे से तो हमें पीठ गठित करनी चाहिए. लेकिन पीठ तो आजकल बार-बार बेंच की ओर भाग रही है. - तो एक फुल बेंच ही गठित कर दीजिए. - कैसे करें प्रभु! रोज़-रोज़ मीडिया ट्रायल-मीडिया ट्रायल रटने वाले बेंच तो कल डेस्क के पास पहुँच गई. - तो डेस्क ही के पास चले जाइए. - क्या करेंगे डेस्क के पास जाकर प्रभु!

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

Maihar Yatra

इति सिद्धम

Azamgarh : History, Culture and People

...ये भी कोई तरीका है!

पेड न्यूज क्या है?

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का

आइए, हम हिंदीजन तमिल सीखें