Posts

Showing posts from April, 2011

ये क्या मामला है?

कल राढ़ी जी (श्री हरिशंकर राढ़ी) ने बताया कि अपना ब्लॉग ही नहीं मिल रहा है. शायद ग़ायब हो गया. उस वक़्त मैं मेंहदीपुर से आ रहा था, रास्ते में था. कुछ नहीं किया जा सकता था. अभी पहुंचा तो सबसे पहले वही तलाश की. मालूम हुआ वास्तव में नहीं है. तुरंत मैंने गूगल में डाला अब यह मिल तो गया. देखें कहीं यह भी ग़ायब न हो जाए!

kaisa chandan

कैसा चन्दन होता है    ( यह गज़ल १९९४ में लिखी गई थी और आज अचानक ही कागजों में मिल गई . बिना किसी परिवर्तन, संशोधन के आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ.बीते दिनों का स्वाद लें .) सूनेपन में कभी- कभी जब यह मन आँगन होता है। स्मृतियों के सुर-लय पर पीड़ा का नर्तन होता है। क्या स्पर्श पुष्प  का जानूँ, क्या आलिंगन क्या मधुयौवन जी  करता  भौंरे  से  पूछूँ  -  कैसा  चुम्बन होता है। लोग  पूछते  इतनी  मीठी  बंशी  कौन  बजाता है ध्वस्त  हो  रहे खंडहरों  में  जब  भी  क्रंदन होता है। हिमकर  के आतप से जलकर शारदीय  नीरवता में राढ़ी  ने ज्वाला  से  पूछा  - कैसा  चंदन  होता है। प्यार मर गया सदियों पहले, जिस दिन मानव सभ्य हुआ अब तो  उसके  पुण्य दिवस  पर   केवल  तर्पण होता है।

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का