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याली : एक मिथकीय आकृति

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नितीश ओझा रावण के दरबार में जब अंगद आते हैं तो उनके पीछे के खम्भों पर यही आकृति बनी हुई है . यह एक पौराणिक आकृति है जिसकी आधी आकृति शेर , आधी हाथी और आधी आकृति घोड़े की भी होती है. दक्षिण भारतीय मंदिरों में अक्सर खम्भे पर पाई जाने वाली एक आकृति , जिसका नाम याली है जो संस्कृत के व्याल से निकला जिसका अर्थ रक्षक , और कुछ स्थानों पर गज मुख सर्प से है यथा खलनायक रूप में , नाट्यशास्त्र में इनका सम्बन्ध दस नाम रूप दंडक से भी है 15 वी शताब्दी   में विकसित इस आकृति को दक्षिण भारत के सभी मंदिरों में देखा जा सकता - मदुरै तमिलानाडू , चेन्ना केशव , थिरुवन्नमलाई , हलेबीडू , होयसल मंदिरों कर्णाटक इत्यादि. मदुरै के मीनाक्षी नायक मंडपम में आपको 1000 याली दीखते हैं.  भारत के बाहर भी यह आकृतियाँ मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में मिलती हैं , बर्मा थाईलैंड , कम्बोडिया , लाओस के बौद्ध मंदिरों में पैगोडा के आगे भी यह आकृति एक Guard / रक्षक के रूप मे मिलती है जहां इनका नाम Chinthe है . बौद्ध धर्म की कहानियों में इसका जन्म एक रानी से हुवा जिसने एक शेर (सिंह) से विवाह किया लेकिन कालांतर में उस शे...

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