रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी
दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है।
दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है।
स्थानीय दर्शनों में हनुमान मंदिर में (जो कि बहुत प्रसिद्ध और विशाल नहीं है) तैरते पत्थरों के दर्शन करना जरूर अच्छा लगता है। पत्थर का पानी पर तैरना एक लगभग असंभव सी घटना मानी जाती है और इसे कुछ लोग ईश्वरीय चमत्कार मानते हैं तो कुछ गल्प के अलावा कुछ नहीं। इसे सामान्यतः वैज्ञानिक तौर पर भी नकार दिया जाता है किन्तु यह सच है कि पत्थर पानी में तैरते हैं। इसे आप अपनी आँखों से देख सकते हैं, छू सकते हैं और दिल करे तो खरीदकार ला भी सकते हैं। यह वास्तव में पत्थर ही होते हैं जो दुर्लभ श्रेणी के होते हैं।
वस्तुतः तैरते हुए पत्थर भी प्रकृति के चमत्कारों में एक हैं। इनका पानी पर तैरना पता नहीं श्रीराम के स्पर्श की कृपा पर आधारित था या नहीं किन्तु इसे प्रकृति का स्पर्श जरूर मिला है। भूविज्ञान के अनुसार पत्थर का तैरना कोई चमत्कार या ईश्वरीय शक्ति नहीं है। हर प्रकार का पत्थर तैर नहीं सकता है। दक्षिण भारत पृथ्वी के सबसे पुराने भागों में है। वर्तमान हिमालय के अस्तित्व में आने से पूर्व एशिया , योरोप और आस्ट्रेलिया तक का अंश एक ही खंड था। जहाँ आज हिमालय है वहाँ पहले टेथीस नामक एक छिछला सागर था। इस सागर के उत्तर में अंगारा लैण्ड नामक भूखंड था और दक्षिण में गोंडवाना लैण्ड। टेक्टॉनिक प्लेटों के खिसकने से कालान्तर में टेथीस सागर की जगह हिमालय का निर्माण हो गया। भारत का दक्षिणी भाग गोंडवाना लैण्ड का प्रमुख हिस्सा है जो मुख्यतः ज्वालामुखी से निर्मित आग्नेय शैलों से निर्मित है। चूंकि आग्नेय शैलें प्रायः ज्वालामुखी से निकले लावा के ठण्डे हो जाने से बनती हैं, इनमें कहीं -कहीं छिद्र रह जाते हैं जिनमें हवा भर जाती है। यही हवा जब अधिक हो जाती है तो पत्थर पानी में तैरने लग जाता है और आर्किमिडीज का सिद्धान्त यहाँ पूर्णतया लागू होता है। यह बात अलग है कि आग्नेय शैलों के अन्तर्गत आने वाला पूरा पत्थर परिवार तैर नहीं सकता, इसमें भी एक विशेष कोटि होती है जिसे हम झाँवाँ पत्थर कह सकते हैं।
हमारा रामेश्वरम भ्रमण लगभग तीन घंटे में पूरा हो गया था। उसी होटल पर हम आ चुके थे। शाम के पांच बज रहे होंगे। अब आगे क्या किया जाए? अभी कुछ और महत्त्वपूर्ण स्थल रह गए थे । उनमें से एक था - धनुषकोडि या धनुषकोटि। इस स्थल के विशय में हमने सुन रखा था और जाने की प्रबल इच्छा भी थी। ऑटो वाले से बात की गई तो पता लगा कि इस समय जाना असंभव था। यह वहाँ से लौटने का समय है और रात्रि में वहाँ जाना न तो लाभकर है और न ही अनुमोदित ही। यहाँ भी हमें अभी कुछ खरीदारी करनी थी, शंकराचार्य मठ में जाना था और थोड़ा समन्दर किनारे घूमना भी था। वस्तुतः अब जो सबसे ज्यादा उत्कंठा हमारे मन में शेष थी वह थी सेतु के दर्शन करना जो किधनुषकोडि में ही मिल सकता था। सच तो यह है कि सेतु का अब कोई अस्तित्व बचा ही नहीं है और धनुषकोडि में भी इसके दर्शन नहीं हो सकते। यह तो अब सागर में समाहित हो चुका है, धनुषकोडि तो वह स्थान है जहाँ से इस सेतु का प्रारम्भ होता था।
गंध मादन पर्वत पर |
धनुषकोडि ; धनुषकोडि या धनुषकोटि पम्बन से दक्षिण-पूर्व में लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर विभीषण का मंदिर हुआ करता था। कहा जाता है कि रावण दमन के बाद वापसी में विभीषण के कहने से श्रीराम ने इस पुल का सिरा अपनी धनुष से तोड़ दिया था। ‘कोडि’ का अर्थ तमिल भाषा में अन्त या सिरा होता है। यह भी विश्वास है कि रामेश्वरम और काशी की यात्रा सेतु में स्नान किए बिना पूरी नहीं होती। धनुषकोडि को महोदधि (बंगाल की खाड़ी ) और रत्नाकर (हिन्द महासागर ) का मिलन स्थल भी कहा जाता है, हालाँकि आज का भूगोल इस बात को प्रमाणित नहीं करता । धनुषकोडि श्रीलंका के बीच में विश्व की सबसे छोटी सीमा का निर्माण भी करता है जो मात्र पचास गज की लंबाई की है। स्वामी विवेकानन्द ने भी 1893 के विश्व धर्मसम्मेलन मे विजय पताका फहराने के बाद श्रीलंका के रास्ते इसी भूखंड पर भारत की धरती पर अपना पैर रखा था।
धनुषकोडि अब एक ध्वन्शावशेष बनकर रह गया है। 22 दिसम्बर 1964 की मध्यरात्रि में एक भयंकर समुद्री तूफान ने धनुषकोडि का गौरवशाली अतीत और वैभवशाली वर्तमान को पूरी तरह निगल लिया था। इस भीषण तूफान में लगभग 1800 जानें गईं थी और पूरा द्वीप शमशान बनकर रह गया। यहाँ क्या कुछ नहीं था। इसका अपना एक रेलवे स्टेशन था और एक पैसेन्जर ट्रेन (पम्बन-धनुषकोडि पैसेन्जर, ट्रेन नम्बर - 653/654) चक्कर लगाया करती थी। दैवी आपदा की उस रात भी वह पम्बन से 110 यात्रियों और 5 कर्मचारियों को लेकर चली थी। अपने लक्ष्य अर्थात धनुषकोडि रेलवे स्टेशन से कुछ कदम पहले ही तूफान ने उसे धर दबोचा और सभी 115 प्राणी आपदा की भेंट चढ़ गए। अब यह एक खंडहर मात्र रह गया है और सरकार ने इसे प्रेतनगर ( Ghost Town ) घोषित कर रखा है। यहाँ एक शहीद स्मारक भी बनाया गया है। यहाँ छोटी नाव या पैदल भी पहुँचा जा सकता है । रेत पर चलने वाली जीपें और लारियाँ भी उपलब्ध हैं।
शंकराचार्य मठ :
रामनाथ मंदिर के मुख्य अर्थात पूर्वी गोपुरम के सामने जहाँ सागर में स्नान की रस्म शुरू करते हैं, वहीं शंकराचार्य का मठ भी स्थापित है। एक बार मुझे यह भ्रम हुआ कि यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारो मठों में से एक होगा क्योंकि उन्होंने चार मठ चारो धाम में स्थापित किए थे और रामेश्वरम चार धामों में एक है। बाद में ध्यान आया कि उनके द्वारा स्थापित मठ चार धामों में नहीं अपितु चार दिशाओं में थे। जहाँ उत्तर, पूरब और पश्चिम के मठ धामों में स्थित हैं वहीं दक्षिण में स्थित शृंगेरी मठ तो कांची में है। अतः रामेश्वर में स्थित शंकराचार्य मठ महत्त्वपूर्ण तो है किन्तु प्रमुख चार मठों में नहीं है। फिर भी मठ को देखने की इच्छा कम नहीं हुई थी। वहाँ पहुँचे तो अच्छी खासी भीड़ दिखी। कोई विशेष प्रयोजन मालूम हो रहा था। भाषा की समस्या तो थी ही । चाहा कि कुछ जानकारी लूँ, पर किससे लूँ? प्रश्न का कोई समाधान नहीं दिख रहा था। सामान्य बातें या पता तक तो कोई विशेष परेशानी नहीं थी। परन्तु यहाँ प्रश्न लेखकीय कीडे़ का था। जिज्ञासा का समाधान तो चाहिए ही था, यात्रा की समाप्ति के बाद वृत्तान्त भी तो लिखना था! ना हिन्दी ना अंगरेजी। संस्कृत में अपना बहुत प्रवाह तो नहीं है किन्तु कामचलाऊ शक्ति जरूर है। पंडित जी से बात करूँ पर वहाँ भी असमर्थता ही थी। सोच -विचार कर ही रहा था कि एक सज्जन शारीरिक भाषा से मुझे पढ़े - लिखे या अफसर से दिख गए। उनसे बात की तो बोले कि हिन्दी तो नहीं, अंगरेजी में वे बात कर सकते हैं। बातचीत में पता चला कि वे मदुराई के रहने वाले हैं और वहीं किसी सरकारी सेवा में हैं। नाम तो मैं उनका भूल गया, पर उनकी बातें, उनका ज्ञान और सज्जनता मुझे याद है। लम्बी बातचीत में उन्होंने जो कुछ बताया, उसमें मुझे एक बात बड़ी आश्चर्यजनक लगी। वहाँ अश्विन मास में एक विशिष्ट उत्सव होता है जिसमें लोग अंगारों पर नाचते हैं और किसी का पैर नहीं जलता। उनका दावा था कि आप यह उत्सव स्वयं देख सकते हैं। हम भी वहाँआश्विन मास में( नौरात्रों में) गए थे। परन्तु यह उत्सव पूर्णिमा के आस- पास होता है। मुझे इस बात की सत्यता पर अभी भी पूरा विश्वास नहीं होता कि जुलूस बनाकर लोग आग पर नाचेंगे और पैर नहीं जलेंगे परन्तु किसी की धार्मिक आस्था को चुनौती देना भी कोई आसान कार्य नहीं है।
शंकराचार्य मठ :
रामनाथ मंदिर के मुख्य अर्थात पूर्वी गोपुरम के सामने जहाँ सागर में स्नान की रस्म शुरू करते हैं, वहीं शंकराचार्य का मठ भी स्थापित है। एक बार मुझे यह भ्रम हुआ कि यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारो मठों में से एक होगा क्योंकि उन्होंने चार मठ चारो धाम में स्थापित किए थे और रामेश्वरम चार धामों में एक है। बाद में ध्यान आया कि उनके द्वारा स्थापित मठ चार धामों में नहीं अपितु चार दिशाओं में थे। जहाँ उत्तर, पूरब और पश्चिम के मठ धामों में स्थित हैं वहीं दक्षिण में स्थित शृंगेरी मठ तो कांची में है। अतः रामेश्वर में स्थित शंकराचार्य मठ महत्त्वपूर्ण तो है किन्तु प्रमुख चार मठों में नहीं है। फिर भी मठ को देखने की इच्छा कम नहीं हुई थी। वहाँ पहुँचे तो अच्छी खासी भीड़ दिखी। कोई विशेष प्रयोजन मालूम हो रहा था। भाषा की समस्या तो थी ही । चाहा कि कुछ जानकारी लूँ, पर किससे लूँ? प्रश्न का कोई समाधान नहीं दिख रहा था। सामान्य बातें या पता तक तो कोई विशेष परेशानी नहीं थी। परन्तु यहाँ प्रश्न लेखकीय कीडे़ का था। जिज्ञासा का समाधान तो चाहिए ही था, यात्रा की समाप्ति के बाद वृत्तान्त भी तो लिखना था! ना हिन्दी ना अंगरेजी। संस्कृत में अपना बहुत प्रवाह तो नहीं है किन्तु कामचलाऊ शक्ति जरूर है। पंडित जी से बात करूँ पर वहाँ भी असमर्थता ही थी। सोच -विचार कर ही रहा था कि एक सज्जन शारीरिक भाषा से मुझे पढ़े - लिखे या अफसर से दिख गए। उनसे बात की तो बोले कि हिन्दी तो नहीं, अंगरेजी में वे बात कर सकते हैं। बातचीत में पता चला कि वे मदुराई के रहने वाले हैं और वहीं किसी सरकारी सेवा में हैं। नाम तो मैं उनका भूल गया, पर उनकी बातें, उनका ज्ञान और सज्जनता मुझे याद है। लम्बी बातचीत में उन्होंने जो कुछ बताया, उसमें मुझे एक बात बड़ी आश्चर्यजनक लगी। वहाँ अश्विन मास में एक विशिष्ट उत्सव होता है जिसमें लोग अंगारों पर नाचते हैं और किसी का पैर नहीं जलता। उनका दावा था कि आप यह उत्सव स्वयं देख सकते हैं। हम भी वहाँआश्विन मास में( नौरात्रों में) गए थे। परन्तु यह उत्सव पूर्णिमा के आस- पास होता है। मुझे इस बात की सत्यता पर अभी भी पूरा विश्वास नहीं होता कि जुलूस बनाकर लोग आग पर नाचेंगे और पैर नहीं जलेंगे परन्तु किसी की धार्मिक आस्था को चुनौती देना भी कोई आसान कार्य नहीं है।
दिन डूबने को आ रहा था। मठ से निकलकर हम सागर किनारे की ओर चल पडे़। हवा की शीतलता का कोई जवाब नहीं था। सागर किनारे जो दृश्य सामान्यतः मिलता है - लोगों की भीड़, खोमचे वालों का जमावड़ा और बेतरतीब आते-जाते लोग, यहाँ भी था। यहाँ एक बार पुनः जिस चीज ने भगाने की ठानी वह थी यहाँ की गंदगी और बदबू! रामेश्वरम के लोगों का प्रमुख व्यवसाय है मछली पकड़ना और बेचना। अब मछलियों के पकड़ने के बाद उनकी प्रॉसेसिंग और भंडारण के कारण बदबू निकलना तो सामान्य बात है (बेट द्वारिका यात्रा में मैंने यही पाया था), किन्तु तट पर फैली गंदगी, गोबर और मल से भी कम वितृष्णा नहीं पैदा हो रही थी। आवारा पशुओं के झुंड के झुंड अपनी गतिविधियों में व्यस्त और मस्त थे। कुल मिलाकर सागर किनारे दिल ये पुकारे वाली बात बनी नहीं। हाँ, थोड़ा बहुत इलाका जरूर ऐसा था जहाँ बैठा जा सकता था। अंधेरा घिरने लगा था। कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि इस दिशा में लंका है और थोड़ी देर बाद श्रीलंका की बिजुलबत्तियाँ दिखाई देंगी। आखिर कुल दूरी यहाँ से तीस किमी ही तो है।
पम्बन रेलवे पुल
- यह रेलवे पुल रामेश्वरम द्वीप को भारत के मुख्य भाग से जोड़ता है . यह इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है और इसकी विशेषता यह है कि जब बड़ी जहाजों को निकलना होता है तो रेल की पटरियों को उठा दिया जाता है और निकल जाता है. पुनः पटरी को नीचे कर दिया जाता है रेलगाड़ियाँ गुजरने लगती हैं .
- यह रेलवे पुल रामेश्वरम द्वीप को भारत के मुख्य भाग से जोड़ता है . यह इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है और इसकी विशेषता यह है कि जब बड़ी जहाजों को निकलना होता है तो रेल की पटरियों को उठा दिया जाता है और निकल जाता है. पुनः पटरी को नीचे कर दिया जाता है रेलगाड़ियाँ गुजरने लगती हैं .
क्या खरीदें - रामेश्वरम जाएं तो सामुद्रिक जीवों से निर्मित सामान अवश्य खरीदें। शंख , घोंघे और सीप के कवच ( sea shell ) के सामान बहुत ही सुन्दर और सस्ते मिलते हैं। इनसे आप घर को सजा सकते हैं और रामेश्वरम यात्रा की स्मृति के तौर पर संजो भी सकते हैं। उपहार के लिए भी ये बहुत ही उत्तम होते हैं। साथ में परिवार था, अतः सामान खरीदने का चांस बनता ही था। एकाध अपने लिए और कुछ फरमाइशकर्ताओं के लिए खरीदा। वामावर्ती शंख तो मिलती ही है, दक्षिणावर्ती शंख के तमाम रूप उपलब्ध हैं। मैं तो उनकी उत्पत्ति और प्रकृति और कारीगरों की कारीगरी पर मुग्ध होता रहा जबकि पत्नी और बेटी गृहसज्जा के सामानों की खरीदारी में व्यस्त रहीं। बेटे को गाड़ी टाइप का कोई खिलौना मिल गया था। कभी उसमें व्यस्त हो जाता तो कभी जाँच आयोग के सक्रिय सदस्य की तरह अनेक प्रश्न लेकर आ जाता और मेरी सोच का दम तब तक घोंटता रहता जबतक उसे अपने प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं मिल जाता।
रामेश्वरम में हमारा ठहराव एक दिन का ही था। रात हो चली थी। दोपहर वाले ढाबे पर ही हमने उत्तर भारतीय भोजन किया और इस निर्णय के साथ सो गए कि प्रातः जल्दी उठकर कन्याकुमारी वाली बस पकड़नी है। काश ! एक दिन और होता हमारे पास रामेश्वरम में ठहरने के लिए! बस मन ही मन यह प्रार्थना गूंजती रही -
श्रीताम्रपर्णी जलराशियोगे
निबद्ध्यम सेतुम निशि विल्व्पत्रै .
श्रीरामचन्द्रेण समर्चितमतम
रामेश्वराख्यं सततं नमामि .
पुल तब भी था, पुल अब भी है,
ReplyDeleteतब वानर, अब नर।
बहुत रोचक ,अच्छी जानकारी मिली,आभार.
ReplyDeleteबिलकुल ठीक कहा आपने प्रवीण जी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वृत्तांत. साफ़ सफाई का आभाव तो मंदिर में भी दिखता है. शृंगेरी मठ कांची में नहीं है. कावेरी नदी के उद्गम के पास कर्णाटक में शृंगेरी पीठ है. कांची का पीठ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित नहीं है.
ReplyDeleteसडक पुल से लिया गया रेल का फ़ोटो बहुत अच्छा लगा है।
ReplyDeleteथोड़े से फोटो और अपलोड़ करिये.
ReplyDeleteआदरणीय पी.एन. सुब्रमण्यम जी,
ReplyDeleteमैं अभी शृंगेरी पीठ नहीं गया हूँ, अतः उसके विषय में पूरी जानकारी नहीं है। मैंने तो यही सुना था कि आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शृंगेरी मठ कांची में ही स्थित है। अब आपने यह दूसरी जानकारी दी है तो उसका ध्यान रखूँगा। यात्रा जारी है और ईश्वर ने चाहा तो शृंगेरी भी जाऊँगा। दक्षिण भारत की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम इसी वर्ष के लिए बन रहा है।
आदरणीय भारतीय नागरिक जी,
ReplyDeleteआपका सुझाव आगे से ध्यान में रखूँगा। दरअसल यात्रा वृत्तांत ही इतना लंबा हो जाता है कि और अधिक फोटो डालकर इसे और लंबा नहीं करना चाहता। ब्लॉग का पाठक सामान्यतः एक बार में बहुत लंबा लेख नहीं पढ़ना चाहता। फिर भी , अभी यात्राओं का एक अंश शेष है । यह यात्रा तो दो साल पुरानी है- कन्याकुमारी में जाकर समाप्त होगी। तबसे बहुत सी यात्राएं हुई हैं। नई यात्राओं में फोटो भी मैंने ज्यादा लिया है। उसका यथासंभव उपयोग होगा।
सुझाव के लिए आभारी हूँ।
आदरणीय संदीप पंवार जी, टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार।
ReplyDeleteचित्र भी बहुत खूबसूरत हैं।
------
कभी देखा है ऐसा साँप?
उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..
घर बैठे हम भ्रमण कर आये...बहुत बहुत आभार...
ReplyDeleteविज्ञान के पास अभी वो आँखें ,वो सामर्थ्य नहीं आया है कि प्रकृति के समस्त रहस्यों को वह देख और परिभाषित कर पाए...
.
ReplyDeleteबहुत वर्ष पहले मैं भी रामेश्वरम सहित समूचे दक्षिण भारत की यात्रा कर चुका हूं … आपने पुनः सब कुछ याद दिला दिया , आभार !
A person essentially assist to make severely posts I would state.
ReplyDeleteThat is the first time I frequented your website page and so far?
I amazed with the research you made to create this particular post incredible.
Fantastic task!
Feel free to visit my page: click here
great issues altogether, you simply gained a brand new reader.
ReplyDeleteWhat may you suggest in regards to your submit that you simply made
some days ago? Any certain?
Feel free to surf to my web-site: click here
Today, I went to the beach front with my kids. I found a sea shell and gave it to my 4 year
ReplyDeleteold daughter and said "You can hear the ocean if you put this to your ear." She placed the shell
to her ear and screamed. There was a hermit crab inside
and it pinched her ear. She never wants to go back! LoL I know
this is completely off topic but I had to tell someone!
My web site click here
बहुत बढ़िया जानकारी। मंत्रमुग्ध पोस्ट।
ReplyDeleteRajasthan Tour Packages from Jharkhand, Jharkhand to Rajasthan Tour Package, Book Rajasthan Packages from Jharkhand at best price by R-Cab.
ReplyDeleteRajasthan Taxi Service India is the first choice among outstation travellers today to rent a Taxi in Jaipur for weekend Getaways, Honeymoon trips, Business Meetings, Local sightseeing, Destination Holidays or any other Event in Jaipur.
ReplyDeleteIğdır
ReplyDeleteAdana
Karabük
Diyarbakır
Antep
51S8H
https://titandijital.com.tr/
ReplyDeleteısparta parça eşya taşıma
ankara parça eşya taşıma
izmir parça eşya taşıma
diyarbakır parça eşya taşıma
QQBD
ankara parça eşya taşıma
ReplyDeletetakipçi satın al
antalya rent a car
antalya rent a car
ankara parça eşya taşıma
QE4FHE
A1549
ReplyDeleteKonya Şehirler Arası Nakliyat
Kayseri Şehirler Arası Nakliyat
Osmaniye Lojistik
Yozgat Şehirler Arası Nakliyat
Niğde Lojistik
Batman Şehir İçi Nakliyat
Elazığ Şehirler Arası Nakliyat
Bolu Evden Eve Nakliyat
Erzincan Şehirler Arası Nakliyat
2DED7
ReplyDeleteBinance Referans Kodu
Coin Para Kazanma
Lovely Coin Hangi Borsada
Bitcoin Madenciliği Siteleri
Binance Hesap Açma
Twitter Takipçi Satın Al
Nonolive Takipçi Satın Al
Soundcloud Beğeni Hilesi
Bitcoin Kazanma
65043
ReplyDeleteısırgan sabunu
kantaron sabunu
bitget
bitexen
papatya sabunu
poloniex
bingx
coinex
binance
BC926
ReplyDeletebinance
copy trade nedir
mexc
paribu
bitcoin nasıl üretilir
mobil proxy 4g
zerdeçal sabunu
binance
canlı sohbet uygulamaları
86272
ReplyDeletebybit
papaya
probit
en eski kripto borsası
kripto telegram grupları
May 2024 Calendar
binance referans kimliği
huobi
kraken
A33B5
ReplyDeleteTarayıcı Oyunları
dedicated server
Web Tasarım
seo
jeneratör fiyatları
sanal sunucu
fiziksel sunucu
sunucu kiralama
iç mimar
F6907
ReplyDeleteWordpress Adsense Reklam Yerleşimi
Yapay Zeka Video Oluşturma
İnternetten Para Kazanma
Tiktok İzlenme Satın Al
Google 5 Yıldız Satın Al
netflix dizi önerileri
Airdrop Coin Kazanma
Instagram SEO
SMM Panel
51492
ReplyDeleteseo danışmanı
bitcoin yorum
Youtube İzlenme Satın Al
metin2 pvp serverler
google yorum satın al
Etsy SEO
Knight Online Proxy Satın Al
bitcoin son dakika
Socks5 Proxy Satın Al
27E0A
ReplyDeleteLrc Coin Yorum
Ont Coin Yorum
Orbs Coin Yorum
Stg Coin Yorum
Near Coin Yorum
Bal Coin Yorum
BTC Forum
Sui Coin Yorum
Sys Coin Yorum
B248E502FC
ReplyDeletegörüntülü şov
sanal seks
sex hattı
sohbet hatti
sohbet hatti
cam show
görüntülü sex
sanal sex
seks hattı
4B8FD23B1E
ReplyDeletesohbet hatti
sex hattı
cam şov
sanal seks
görüntülü şov
sohbet hatti
seks hattı
cam show
sanal sex