युद्ध युद्ध में उतरने की कुछ शर्तें हैं दिमाग की नसों में बारुद भरना ऐसे गीत और नारों को गढ़ना जो लहू के आवेग में आतिश पैदा कर दे श्रेष्ठता की भट्टी में नस्लों को तपाना और दुश्मन के खिलाफ दिल को जहरआलुदा करना इसके बाद जरुरत होती है विज्ञान के फन पर बैठे हुये घातक हथियारों की दांत और नाखून से तो जानवर लड़ते है आदम के औलाद नहीं उन्हें तो चाहिए नस्लकसी करने वाले हथियार हवाओं और पानी में जहर पैदा करने वाले हथियार युद्ध सांचे में ढली हुई कोई चीज नहीं है और न ही किसी कमसिन दुल्हन के सुर्ख होठों पर दौड़ती हया की लकीर यह दावानल है धरती को पलक झपकते राख करने की सलाहियत से भरपूर युद्ध समाजवाद है बच्चों , बुढ़ों , औरतों और जवान में फर्क नहीं करता युद्ध फासीवाद और नाजीवाद है रक्त श्रेष्ठता पर सवार होकर मदमस्त हाथी की तरह चिंघाड़ता है युद्ध लोकतंत्र है अल्पमत पर बहुमत के डंडे की तरह
रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमान मंदिर में (जो कि बहुत प्रसिद्ध और विशाल नहीं है) तैरते पत्थरों के दर्शन करना