बलवाइयों ने किया देश को शर्मसार!
कविलाश मिश्र कानून व्यवस्था के मददेनजर पहले बैरिकेडिंग तोड़ी, डिवाइडर तोड़े, सुरक्षा को देखते हुए सड़कों पर खड़ी की गई बसों के शीशे फोड़े और इन सबके बाद जब पुलिस वालों ने रोकने की कोशिश की तो पुलिस वालों को जान से मारने की कोशिश की गई। ट्रैक्टर से रौंदने की चेष्टा की गई। पुलिसवाले धैर्य बनाए बलवाइयों को समझा रहे थे तो उन्हें डंडों से पीटा जा रहा था। पुलिस को दौड़ाया जा रहा था। लालकिला के पास बने नहर में कूद कर पुलिसवालों ने जान बचाई। …और फिर आंदोलनारी किसानों ने लालकिला पर फहरा रहे तिरंगा को उतार कर एक धर्म विशेष का झंडा फहराया ….। जाहिर है, यह तस्वीरें किसानों की नहीं लगती और न ही अकस्मात होता दिखा। दिल्ली को अशांत करना ही इनकी मंशा थी। बकायदा, अपनी पहचान छुपाने के लिए प्रदर्नकारियों ने गमछे से मुंह ढक रखा था। जाहिर है कि ये लोग पहले से ही मन बनाकर आए थे कि ऐसा करना है। दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ छह दौर की वार्ता के बाद तीन रूट तय किए थे। जिन किसान नेताओं ने पुलिस को भरोसा दिया था कि किसान आंदोलन का ट्रैक्