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Showing posts from March, 2011

नाम है भ्रष्टाचार !!!!!! [होली है !]

होली के दिन जनमा एक नेता का बेटा, मुसीबत बन गया चैन से नहीं लेता ? पैदा होते ही कमाल कर गया, उठा, बैठा और नेता की कुर्सी पर चढ़ गया ! यह देख डॉक्टर घबराई, बोली - ये तो अजूबा है ! इसके सामने तो साइंस भी झूठा है !! इसे पकड़ो और लिटाओ दुधमुंहा शिशु है, माँ का दूध पिलाओ । दूध की बात सुनकर शिशु ने फुर्ती दिखाई, पास खड़ी नर्स की पकड़ी कलाई बोला - आज तो होली है, ये कब काम आएगी, काजू-बादाम की भंग अपने हाथों से पिलाएगी । नेता और डॉक्टर के समझाने पर भी वह नहीं माना, चींख-चींखकर अस्पताल सिर पर उठाया, और गाने लगा 'शीला' का गाना ! उसके बचपने में 'शीला की ज़वानी' छा गई, 'मुन्नी बदनाम न हो इसलिए नर्स भंग की रिश्वत लेकर आ गई ! शिशु को भंग पीता देख नेताजी घबराये और बोले - 'तुम कौन हो और क्यों कर रहे हो अत्याचार ?' शिशु बोला - तुम्हारी ही औलाद हूँ और नाम है भ्रष्टाचार [] आप सबका हुरियारा - राकेश 'सोहम'

Gazel

         गज़ल                    -हरिशंकर   राढ़ी बन जाए सारी  उम्र गुनहगार इस तरह । करना न मेरी जान कोई प्यार इस तरह। सुनता  हूँ सकीने  पे भी लहरें मचल उठीं दरिया के दिल पे हो गया था वार इस तरह। महफिल में गम की आ गए यादों के परिंदे सूना सा मेरा दिल हुआ गुलजार इस तरह। उल्फत की जंग में न रहा जीत का जज़्बा  हम   एक  दूसरे से  गए  हार इस तरह । सपने  खरीदते रहे जीवन  के मोल हम चलता रहा इस देश में व्यापार इस तरह। तनहा गुजारनी थी मुझे रात वो ‘राढ़ी’ मुझमें समा गया था मेरा यार इस तरह।

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