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Showing posts from December, 2013

PANCHVATI AND NASIK

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यात्रा वृत्तांत                                       पंचवटी में                                                                     -हरिशंकर राढ़ी  ब्रह्मगिरि से वापसी अंजनेरी पर्वत का एक दृश्य  गोदावरी उद्गम के दर्शन  से संतुष्टि  लेकिन उसके जन्मस्थल पर ही प्रदूषण  से असंतुष्टि का  भाव लेकर हम वापस चले। वापसी की यात्रा सुगम थी और सूर्य का ताप कम हो जाने से सुहावनी लग गई रही थी। इस क्षेत्र में लाल बंदरों की बहुतायत है। उतरते समय वे सीढि़यों पर उछल-कूद करते हुए अपने कौतुकों से सबका मनोरंजन कर रहे थे। एक बच्चे को धमकाकर एक कपि जी ने पानी की बोतल छीनी और महोदय उसका ढक्कन किसी समझदार आदमी की तरह खोलकर पानी पीने लगे। इसके बाद एक आम देशी  नागरिक की तरह उन्होंने खाली बोतल बेपरवाह होकर किसी एक दिशा  में उछाल दी ।  त्र्यंबक एक अद्भुत एवं दिव्य प्रभाव का तीर्थ माना जाता है। धार्मिक कर्मकांडों में श्रद्धा रखने वालों के लिए यह विशेष  महत्त्व का स्थान है। बहुत से लोग यहां केवल कालसर्प योग की शांति  के लिए  ही जाते हैं। यहां त्रिपिंडी विधि पूजन होता है तथा नारायण नागबलि पूजा तो के

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