पोंगापंथ अप टु कन्याकुमारी -4
तिरुअनन्तपुरम में अब कुछ खास नहीं बचा था इसलिए हमने सोचा कि हमें अब आगे चल देना चाहिए। दिल्ली में बैठे- बैठे हमने जो योजना बनाई थी उसके मुताबिक हम तिरुअनन्त पुरम में एक रात रुकने वाले थे। इसी योजना के अनुसार हमने 23 सितम्बर के लिए मदुराई पैसेन्जर में सीटें आरक्षित करवा ली थीं। यहां का सारा आवश्यक भ्रमण पूरा हो गया था और अब वहां केवल वे ही स्थान थे जो यूं ही समय बिताने के लिए देखे जा सकते थे, हमें काफी कुछ घूमना था इसलिए निर्णय लिया कि अगले दिन का आरक्षण निरस्त करवा कर आज ही इसी गाड़ी से मदुराई चल दें। वहां की गाड़ियों में भीड़ कम होती है और कोई खास परेशानी होने वाली नहीं थी। स्वामी पद्मनाभ मंदिर से लौटकर सर्वप्रथम हमने आरक्षण निरस्त कराया । त्रिवेन्द्रम स्टेशन का आरक्षण कार्यालय हमें दिल्ली के सभी आरक्षण कार्यालयों से अच्छा और सुव्यवस्थ्ति लगा। स्वचालित मशीन से टोकन लीजिए और अपनी बारी की प्रतीक्षा कीजिए, लाइन में लगने की कोई आवश्यकता ही नही। एक डिस्प्ले बोर्ड पर आपका नंबर आ जाएगा और आपका काउंटर नंबर भी प्रर्दशित हो जाएगा। ऐसी व्यवस्था तो राजधानी दिल्ली में भी नहीं है जहां कि भारत सरकार