'वागर्थ' में कहानी भारतीय भाषा परिषद की प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित होना अच्छा लगता है। 'वागर्थ' के मई, 2024 अंक में मेरी कहानी 'मोड से आगे' आई है। 'वागर्थ' में यह मेरी दूसरी कहानी है, जो स्त्री विमर्श पर केन्द्रित है। इसमें एक नव विवाहिता युवती अपने पति और सास की स्त्री विरोधी, पितृ सत्तात्मक और दहेज लोभी प्रवृत्ति का शिकार होती है और अपना रास्ता खुद चुनती है। कहानी लंबी है और पत्रिका के लगभग 9 पृष्ठों तक चलती है। यहाँ कहानी का लिंक भी साझा कर रहा हूँ। समय मिले तो पढ़ें और टिप्पणी करें। कहानी का लिंक भी साझा कर रहा हूँ। समय मिले तो पढ़ें और टिप्पणी करें। https://vagartha.bharatiyabhashaparishad.org/harishankar.../
रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...