अंडरवर्ल्ड से तिब्बती योग तक
कल बात गंगा की चली थी और वह भी उल्टी बहने वाली गंगा. सिनेमा की दुनिया में गंगा उल्टी ही बहती है. 80-90 के दशक में जो फिल्में बन रही थीं , एंग्री यंग मैन वाले जो रोल बहुत पसंद किए जा रहे थे और उसी नाते कुछ अभिनेताओं में लोग देवी-देवता देखने लगे थे , उनकी हकीकत शताब्दी के अंत तक आते-आते खुलने लगी थी. मजाक तो समझदार लोग तब भी उड़ाते थे और बोलते थे कि एक टिटहरी जैसा आदमी डॉन के अड्डे में घुसकर हथियारों से लैस उसके पचास मुश्टंडों को निबटा देता है , यह सिर्फ़ हिंदी सिनेमा में ही हो सकता है. और कहीं नहीं. तो उल्टी गंगा के क्रम में ही मुझे फिल्मी दुनिया की एक और गंगा याद आई. वही गंगा जो मैली हो गई थी. वह गई तो सीधी ही थी. जहाँ तक मुझे याद आता है वह निकली पहाड़ के किसी छोटे से गाँव से थी और अपने शेखचिल्ली टाइप प्रेमी के चक्कर में शादी-वादी करके एक बच्चे की माँ भी बन गई. पर उसका वह प्रेमी फिर गायब हो गया. लौट नहीं पाया समय से. पहली बात तो यह कि ऐसा भारत में कहीं होता नहीं. कुछ बेहद मजबूर या आपराधिक मनोवृत्ति वाले माता-पिता की बात छोड़ दें तो इस टाइप वाले माँ-बाप भारत में कहीं पाए नहीं ...