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Showing posts from May, 2013

Aachar ka Yuddh

आचार का युद्ध   (दूसरी किश्त )                   - हरिशंकर  राढ़ी   भ्रष्टाचार  से लड़ने का एक हथियार ढूँढ़ निकाला गया है। यह इस युद्ध की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। सभी जानते हैं कि आधुनिक युद्ध शारीरिक या मानसिक बल से नहीं लड़े जाते। नए युद्ध पूरी तरह हथियारों पर निर्भर हैं। इसीलिए दुनिया के सारे देश  हथियारों की साधना में लगे हैं। पड़ोसी तो हथियारों के दम पर कई युद्ध लड़कर और हारकर भी हथियारों की बटोर में लगे हैं। कलेजा भले ही बकरी का हो पर तलवार तो राणा प्रताप की ही चाहिए। बाजरे की रोटी का ठिकाना भले न हो, पर कर्ज लेकर परमाणु अस्त्र तक बनाएंगे। ऐसी स्थिति में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में हथियार का निश्चित  हो जाना कोई कम बात नहीं है। मजे की बात यह है कि दोनों ही दलों ने एक ही प्रकार के हथियार का चयन किया है। वह महत्त्वपूर्ण हथियार है कानून। सबसे बड़ी बात है कि कानून के हाथ बड़े लम्बे होते हैं, ऐसा यहाँ अज्ञातकाल से माना जाता है। पहले भगवान के हाथ लम्बे होते थे, बाद में कानून के होने लगे। हाथ लम्बे होने का फायदा यह होता है कि आप नजदीक गए बिना यानी दूर से ही दुश्मन  पर वार क

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