Gazel
गज़ल
-हरिशंकर राढ़ी
बन जाए सारी उम्र गुनहगार इस तरह ।
करना न मेरी जान कोई प्यार इस तरह।
सुनता हूँ सकीने पे भी लहरें मचल उठीं
दरिया के दिल पे हो गया था वार इस तरह।
महफिल में गम की आ गए यादों के परिंदे
सूना सा मेरा दिल हुआ गुलजार इस तरह।
उल्फत की जंग में न रहा जीत का जज़्बा
हम एक दूसरे से गए हार इस तरह ।
सपने खरीदते रहे जीवन के मोल हम
चलता रहा इस देश में व्यापार इस तरह।
तनहा गुजारनी थी मुझे रात वो ‘राढ़ी’
मुझमें समा गया था मेरा यार इस तरह।
bahut khoobsoorat ghazal hai..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गज़ल
ReplyDelete@उल्फत की जंग में न रहा जीत का जज़्बा
ReplyDeleteहम एक दूसरे से गए हार इस तरह
तनहा गुजारनी थी मुझे रात वो ‘राढ़ी’
मुझमें समा गया था मेरा यार इस तरह।
....वाह क्या गजल है-बहुत सुंदर ,आभार.
एक से बढ़कर एक बेहतरीन, अनमोल नगीने काढ़े हैं आपने शेरों के रूप में....
ReplyDeleteजो लाजवाब ग़ज़ल बन पडी है कि क्या कहूँ....
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर...
khubsurat gazal..
ReplyDeleteआदरणीय हरिशंकर राढ़ी जी
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
आपमें तो बहुत ख़ूबसूरत शायर रहता है जनाब !
उल्फत की जंग में न रहा जीत का जज़्बा
हम एक दूसरे से गए हार इस तरह
क्या बात है ! क्या बात है !!
प्यार में यह जज़्बा होना ही चाहिए … :)
सुनता हूं सकीने पे … यहां त्रुटिवश सकीने छप गया लगता है , सुधार कर सफ़ीने करलें
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद कबूल करें ।
हार्दिक बधाई !
अब तो होली भी आ गई
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Adarniya Swarnkar ji,
ReplyDeleteNamaskar.
Thanks a lot for your compliments. Sometimes I do commit mistakes as I am technically not so expert in computers.
I too wish you a very colorful Holi.
आगे बढ़ते रहिए इसी तरह.
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