आहार, आय, आजीविका और आवागमन की भाषा है हिन्दी
इक्कीसवीं सदी में हिन्दी आहार, आय, आजीविका और आवागमन की भाषा के रूप में समूचे विश्व में इस्तेमाल में लाई जा रही है, जिससे हिन्दी सम्बन्ध, सम्पर्क, संवाद और सहचार के सर्वाधिक सशक्त माध्यम के तौर पर दुनिया भर में शान से अपनी विजय पताका लहरा रही है। नई शिक्षा नीति में भाषा को सुदृढ़ बनाने हेतु अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं जिनसे हिन्दी का सर्वांगीण विकास और प्रचार - प्रसार सम्भव हो सकेगा।
ये उद्गार मुख्य अतिथि इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश के सहयोग से हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में हिन्दी को शिक्षण की भाषा के रूप में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और इसे रोज़गार से जोड़ने का प्रयास किया गया है। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रमों तथा एक संकाय या विषय से दूसरे में जाने की सुविधा देकर विद्यार्थियों को अपनी अभिरुचि के अनुरूप शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था से भी वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में देश अग्रसर होगा। त्रिभाषा सूत्र को इसमें स्थान देकर संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं पर भी बल दिया गया है, जो भारतीयता की जड़ों को मजबूत करेगा।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैशंपायन ने नई शिक्षा नीति के विविध पक्षों
की विशद चर्चा करते हुए हिन्दी भाषियों का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक भारतीय
भाषाओं को सीखकर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के मध्य सौहार्द्र एवं हिन्दी के
प्रचार प्रसार में सहयोग करें। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी भाषा तथा बोलियों
की नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत महत्त्वपूर्ण भूमिका स्वीकार की गई है, जो मातृ भाषा में ज्ञान दिए जाने से विकसित होने वाली मौलिक सोच और
नवोन्मेषी दृष्टि को विकसित करने का कार्य करेगी।
विशिष्ट अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र
कुमार शर्मा ने नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी के भारतीय संस्कृति और भारतीयता से
जुड़ने की विस्तृत चर्चा की और बताया कि हिन्दी त्रिभाषा सूत्र के रूप में
सर्वाधिक व्यवहृत होकर देश की शिक्षा व्यवस्था में अपनी चिर प्रतीक्षित जगह हासिल
करेगी और देश में हिन्दी का सर्वांगीण विकास सम्भव हो सकेगा।
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-09-2020) को "मेम बन गयी देशी सीता" (चर्चा अंक 3826) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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