पालघर : सनातन की शक्ति पर सवाल

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संजय तिवारी

पालघर कांड के 126 दिन बीत गए। न वह दृश्य भूल रहा और न ही मुस्कुराते साधुओ के निर्मल चेहरे। दोनो सनातन साधको को कैसे हत्यारो के सामने धकेल कर पुलिस वालों ने गंदा खेल खेला, वह वीडियो सबने देखा है। वह दृश्य भूलने वाला नही है। उसको देखने के बाद हर भारतीय सनातन मन विचलित हो जाता है। अनेक प्रश्न कौंधते हैं। यही है भारत की धर्मनिरपेक्षता? क्या इसी दृश्य के लिए भारत को स्वाधीन कराने के लिए हमारे पुरखों ने बलिदान दिया? क्या यह घटना किसी मंदिर विध्वंस से बड़ी नही है? क्या यह सीधे सनातन संस्कृति को चुनौती नही दी गयी है? क्या इसकी सीबीआई से जांच नही होनी चाहिए? उन साधुओ को न्याय मिले बिना क्या कोई भारतीय सनातन पुरुष चैन से रह सकेगा? आखिर हम जवाब क्या देंगे उन्हें जो अभी इस धरती पर सनातन की मर्यादा और शक्ति को समझने वाले हैं? क्या यह सनातन की शक्ति पर एक प्रश्नचिह्न नही है? जिस वीभत्स हत्या को सारी दुनिया ने देखा उसके प्रमाण और दोषी नही मिल रहे? क्या अब तक सभी सबूत सुरक्षित भी होंगे?

महाराष्ट्र में जो कुछ भी हो रहा है, वह भारत और भारतीयता के लिए चुनौती है। इस खतरे को समय से समझ कर मुहतोड़ जवाब देना ही होगा। महान मराठा भूमि पर विधर्मी भारतद्रोही साजिशों में लगे हैं। इस साजिश को समाप्त करने का समय आ गया है। उसी महाराष्ट्र में सुशांत सिंह राजपूत केस को सीबीआई को सौंपे जाने के बाद अब एक उम्मीद जगी है कि जल्दी ही कुछ बड़ा होने वाला है। पालघर को लेकर संतो और मीडिया में हुई हलचल गंभीर संकेत दे रही है।

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जूना अखाड़े के दोनो साधुओं और उनके चालक को जिस निर्ममता से मारा गया उस दृश्य को दुनिया ने देखा है। अगर किसी को नही दिखा तो वह है महाराष्ट्र की सरकार और उसकी जांच एजेंसियां। इसी लिए उस सरकार और उसकी एजेंसियों की आंख खोलने के लिए संत समुदाय ने हुंकार भरी है। इस घटना की सीबीआई जांच की मांग को लेकर संतो ने आवाज उठाई है। अखिलभारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द जी सरस्वती ने बड़े तीखे तेवर दिखाए है। वह कहते हैं कि जिस सरकार ने संतो के पार्थिव शरीरो के लिए एक वाहन तक तत्काल सुलभ नही कराया, उससे हमें न्याय की कतई उम्मीद नही है। स्वाधीन भारत मे सनातन संस्कृति पर सबसे बड़ा हमला पालघर में हुआ। उस जमीन पर यह हृदयविदारक घटना हुई जिस पर वहां के कथित हिंदुत्व के अलंबरदार शासक हैं। जिनकी पार्टी का कुल आधार हिंदुत्व रहा है। यह अलग बात है कि सत्ता के लिए उन्होंने अपनी विपरीत विचारशक्तियों से समझौता किया है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहते हैं कि साधुओं की हत्याओं से संत समाज में आक्रोश है। देश इसमे न्याय चाहता है। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। जेपी नेता राम कदम ने भी इस मामले में सीबीआई जांच की अपील की है। योग गुरु स्वामी रामदेव ने भी ट्वीट कर संतों की हत्या मामले को बिना देरी किए सीबीआई को जांच सौंपे जाने की मांग की है।

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पालघर के गड़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात में जूना अखाड़े के दो साधुओं 35 वर्षीय महंत सुशील गिरी महाराज और 65 वर्षीय महाराज कल्पवृक्ष गिरी और उनके ड्राइवर निलेश तेलगडे की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी. घटना के समय दोनों संत एक गाड़ी में सवार होकर अपने साथी संत की मौत पर शोक जताने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे। इस मामले में महाराष्ट्र सीआईडी दहाणु कोर्ट में 11 हजार पन्नों की दो अलग चार्जशीट दाखिल की। सीआईडी ने अपनी जांच में दावा किया कि पालघर साधु हत्याकांड के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं था बल्कि कुछ अफवाहों की वजह से ये घटना हुई। सीआईडी का कहना है कि इस इलाके में कई दिनों से ऐसी अफ़वाह थी कि कुछ लोग बच्चों को किडनैप कर उनके शरीर से किडनी जैसे ऑर्गन निकलने के लिए साधु, पुलिस या डॉक्टर के भेष में आ सकते हैं। सीआईडी के अनुसार इसी अफ़वाह के चलते स्थानीय लोगों ने उन संतों को किडनैपर समझकर जानलेवा हमला कर दिया। 

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने सांप्रदायिक कारण को खारिज कर दिया। संत समुदाय ने इस मामले को सीबीआई या एनआईए जैसी एजेंसी को ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए 3 हफ्ते का समय दिया था। अब माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 27 या 28 अगस्त को सुनवाई हो सकती है। महाराष्ट्र में शिवसेना कोटे के मंत्री एकनाथ शिंदे कहते हैं कि इस मामले में सीबीआई जांच हो या नहीं, इसका फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे करेंगे। अब उद्धव क्या करेंगे, वह उद्धव जाने, लेकिन भारत की सुप्रीम कोर्ट जरूर कुछ करेगी। संतो को न्याय भी मिलेगा और साजिशों की परतें भी खुलेंगी। यह निश्चित है कि भारत की संत परंपरा फिर से एक इतिहास बनाने जा रही है। कुछ बहुत बड़ा होगा।

© संजय तिवारी 


Comments

  1. न्याय मिलना ही चाहिये। दुखद।

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  2. सभी को उस दिन का बेसब्री से इंतजार है जिस दिन संतो को न्याय मिलेगा

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