धोनी ने कहा क्रिकेट को अलविदा

भूपेंद्र सिंह 

आखिर वह दिन आ ही गया जब भारत के सबसे यशस्वी क्रिकेटर, बल्लेबाज़, विकेटकीपर महेन्द्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया। मलाल यही रहा कि सक्रिय क्रिकेट के बीच वे सन्यास नही ले सके। बेहतर होता विश्वकप के सेमी फाइनल के बाद सन्यास ले लेते। उन जैसे बहुत बड़े कद के खिलाड़ी के लिए यही सम्मान उचित होता।पर वक्त सबको अपनी करने का अवसर कहां देता है।

आज बड़े बड़े बालों वाले उस युवा विकेट कीपर की याद आ रही है जिसके ग्लोव्स में तो उतनी जान नही थी पर उसका बल्ला विस्फोट करता रहता था। वह ऐसा खिलाड़ी था जिसकी केश शैली के खालिद मुशर्रफ जैसे कठोर जनरल और राष्ट्राध्यक्ष भी बीच मैदान में आकर तारीफ करते थे और धोनी ऐसे कि अगली सीरीज़ में ही अपने बाल मिलिटरी कट में कटा डाले। मतलब धोनी हर काम अपनी तरह से ही करते आए भले ही वह बल्लेबाज़ी हो, कीपिंग हो या कप्तानी।

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उनकी बल्लेबाज़ी विपरीत परिस्थिति में और निखर आती थी और उनके अनूठे, नायाब हेलीकॉटर जैसे शॉट हार के जबड़े से जीत छीन लाया करते थे भारत के लिए। उनकी कीपिंग ने कोचों को रन आउट और स्टम्पिंग करने के नए नए तरीके दिखाए, सिखाए।

बिना देखे गेंद को स्टम्प की ओर फेंक कर रन आउट करने की जो कला धोनी के पास थी वह आज भी किसी कीपर के पास नही दुनिया के।

बिजली की कौंध जैसी तेजी से स्टम्पिंग धोनी की ख़ासियत बनी रही आखिरी मैच तक।

कप्तान के रूप में वे बेमिसाल रहे और दो दो विश्वकप जीत कर वे भारत के क्रिकेट इतिहास में अमर हो गए।

फिटनेस के मामले में वे 38 साल की उम्र में भी सबसे फिट कप्तान कोहली से मुकाबला करते थे और विकेटों के बीच उनकी दौड़ इतनी तेज, सन्तुलित और सुविचारित थी कि शायद ही उनको रन आउट होते किसी ने देखा हो। त्रासदी यह कि जब सबसे अधिक विकेट पर टिकने की जरूरत थी और भारत एक और विश्वकप फाइनल के द्वार तक जा पहुंचा था वे रन आउट हो गए।

उनके युग को भारतीय क्रिकेट का स्वर्ण काल कहा जा सकता है। उनके मिस्टर कूल और मिस्टर फिनिशर जैसे उपनाम उनका पर्याय बन चुके थे। उनको भारत के सबसे कमाऊ क्रिकेटर होने का श्रेय भी मिला। विपुल यश, सम्मान के साथ उनको आई पी एल, विज्ञापन, मैच फी आदि से बेशुमार पैसा भी मिला।

पर उनको कई आरोपों का सामना भी करना पड़ा। द्रविण, गम्भीर, सहवाग, लक्ष्मण जैसे महान बल्लेबाज क्रिकेटरों जो एक सीरीज की असफलता के बाद ही सन्यास लेने पर मजबूर कर दिया उन्होंने और इन दिग्गजों की जगह हलका प्रदर्शन करने वाले लोगों को जगह उन्ही के कार्यकाल में दी गई। अवसर मिलने और हमेशा बढियाप्रदर्शन करने वाले अमित मिश्रा और अश्विन जैसों की निरन्तर उपेक्षा की गई।

सन्यास के समय का सही निर्धारण करने में भी वे असफल रहे और इस तरह उन्हें रिटायर होने पर मजबूर होना पड़ा जो किसी भी खेल प्रेमी या क्रिकेटर की चाहत नही हो सकती। हम उन्हें बल्ला ऊंचा किए खिलाड़ियों के गार्ड ऑफ हॉनर के बीच से धोनी धोनी चिल्लाती ,आंखों में नमी लिए भारी भीड़ के बीच से गुजरता देखना चाहते थे जो न हो सका। पर भारतीय क्रिकेट का यह महान योद्धा हम सभी की स्मृति में सदैव के लिए रच बस गया है अपने कौशल से।

कौन जानता था कि रांची से आने वाला यह रेलवे का टिकट कलेक्टर एक दिन अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में धूमकेतु की तरह आएगा और दशकों तक चमकता रहेगा पूरे जलाल से। वाकई धोनी अपने मे बेमिसाल हैं। उनके समय मे भी बहुत विस्फोटक, शानदार विकेट कीपर चमके जिनमे संगकारा और गिलक्रिस्ट तो केवल बल्लेबाज की हैसियत से दुनिया की किसी भी टीम में खेल सकते थे पर जो चमक धोनी ने बिखेरी और जो उपलब्धियां हासिल कि वह किसी अन्य के भाल पर नहीं लिखीं थीं।

उनके अवकाश लेने पर कोटि कोटि भारतीयों की ओर से कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी का हार्दिक अभिनंदन।वे सचमुच वैसे ही हैं जैसा सहवाग ने लिखा न धोनी जैसा कोई था न होगा। अलविदा धोनी। आपको आई पी एल में हम देखते रहेंगे और विकेट के पीछे से आने वाली आवाज अब कभी मैदान पर नही सुनाई देगी, छोटी, छोटी, मारेगा ये, लम्बी।

इस मौके पर एक और कम मशहूर पर हौसले वाले शेरदिल क्रिकेटर का नाम न लिया जाए तो अन्याय होगा। धोनी के बड़े फैन,साथी सुरेश रैना ने भी उनके साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। बाएं हाथ की विस्फोटक बल्लेबाजी का धनी, चीते की तरह गेंद की ओर लपकता था, उनकी कैचिंग, फील्डिंग बेमिसाल थी और उनकी आफ ब्रेक उपयोगी।

अपनी जांबाज़ बल्लेबाजी से, कैचिंग और फील्डिंग से भारत को बहुत मैच जिताए उन्होंने। सकारात्मक सोच का धनी यह ऑल राउंडर टेस्ट क्रिकेट में भले ही सफल न हो पाया हो पर एक दिवसीय और 20 20 में उनका बल्ला भारत के लिए जम कर बोला।वह शेरदिल खिलाड़ी थे जिन्होंने वापसी की भरपूर कोशिशें की पर सफल नही हो सके।

जब भी भारतीय क्रिकेट का इतिहास लिखा जाएगा धोनी उस में सबसे ऊपर की लाइन में होंगे, वाडेकर, गावस्कर, कपिल, युवराज, द्रविण, लक्ष्मण, सहवाग और सचिन जैसे बड़े बड़े नामों के साथ पर रैना को भी भुलाना आसान नही होगा।

© Bhoopendra Singh



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