पढ़ती थी तूम मेरे लिये किताबें
पढ़ती थी तूम मेरे लिये किताबें
अच्छी किताबें,सच्ची किताबें,
मेरा होता था सिर तेरी आगोश मे
तेरे बगल में होती थी किताबें।
हंसती थी तू उन किताबों के संग
रोती थी तू उन किताबों के संग,
कई रंग बदले किताबों ने तेरे
कई राज खोले किताबों ने तेरे।
जब किताबों से होकर गुजरती थी तुम
चमकती थी आंखे,और हटाती बालें,
शरारतों पर मुझको झिड़कने के बाद
फिर तेरी आंखों में उतरती थी किताबें।
होठों से तेरी झड़ती थी किताबें
मेरे अंदर उतरती थी किताबें,
डूबी-डूबी सी अलसायी हुई
हाथों में तू यूं पकड़ती थी किताबें ।
चट्टानों से अपनी पीठ लगाये हुये
सुरज ढलने तक तूम पढ़ती थी किताबें,
अंधरे के साया बिखरने के बाद
बड़े प्यार से तुम समेटती थी किताबें ।
उलटता हूं जब अपनी दराजों की किताबें
हर किताब में तेरा चेहरा दिखता है,
चल गई तुम, पढ़ कर मेरी जिंदगी को
मेरे हिस्से में रह गई तेरी किताबें।
शब्द गढ़ता हूं मैं तेरी यादों को लेकर
तेरी यादों से जुड़ी हैं कई किताबें,
मेरे प्यार का इन्हें तोहफा समझना
तेरी याद में लिख रहा हूं कई किताबें।
अच्छी किताबें,सच्ची किताबें,
मेरा होता था सिर तेरी आगोश मे
तेरे बगल में होती थी किताबें।
हंसती थी तू उन किताबों के संग
रोती थी तू उन किताबों के संग,
कई रंग बदले किताबों ने तेरे
कई राज खोले किताबों ने तेरे।
जब किताबों से होकर गुजरती थी तुम
चमकती थी आंखे,और हटाती बालें,
शरारतों पर मुझको झिड़कने के बाद
फिर तेरी आंखों में उतरती थी किताबें।
होठों से तेरी झड़ती थी किताबें
मेरे अंदर उतरती थी किताबें,
डूबी-डूबी सी अलसायी हुई
हाथों में तू यूं पकड़ती थी किताबें ।
चट्टानों से अपनी पीठ लगाये हुये
सुरज ढलने तक तूम पढ़ती थी किताबें,
अंधरे के साया बिखरने के बाद
बड़े प्यार से तुम समेटती थी किताबें ।
उलटता हूं जब अपनी दराजों की किताबें
हर किताब में तेरा चेहरा दिखता है,
चल गई तुम, पढ़ कर मेरी जिंदगी को
मेरे हिस्से में रह गई तेरी किताबें।
शब्द गढ़ता हूं मैं तेरी यादों को लेकर
तेरी यादों से जुड़ी हैं कई किताबें,
मेरे प्यार का इन्हें तोहफा समझना
तेरी याद में लिख रहा हूं कई किताबें।
उलटता हूं जब अपनी दराजों की किताबें
ReplyDeleteहर किताब में तेरा चेहरा दिखता है,
चल गई तुम, पढ़ कर मेरी जिंदगी को
मेरे हिस्से में रह गई तेरी किताबें।
बहुत हे अच्छी रचना है....यादों के झरोखों से झाकती एक कविता ...बहुत हे अच्छी लगी...
शब्द गढ़ता हूं मैं तेरी यादों को लेकर
ReplyDeleteतेरी यादों से जुड़ी हैं कई किताबें,
मेरे प्यार का इन्हें तोहफा समझना
तेरी याद में लिख रहा हूं कई किताबें।
बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आप ने....
बहुत कुछ याद दिला देती है.
धन्यवाद
नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
ReplyDeleteनीरज
alok nandanji,
ReplyDeleteI liked your new poem kitaben exploring a new thought. I have come back to the blog and will be active hereafter.
wish you a very happy new year 2009
hari shanker rarhi
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
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