भोजन की ख़ुशी
पूरे देश से भुखमरी की खबरें आती रहती हैं. कालाहांडी पुरानी बात हो चली. महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. बुंदेलखंड में खेती का बुरा हाल है. ऐसे में भूख क्यों न बिके! एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक के दिल्ली संस्करण में राशिफल निकला। लिखा था कि आज कुम्भ राशि वालों को बढ़िया भोजन मिलेगा. अब हालत यहाँ तक पहुच गई कि ज्योतिषियों को बताना पड़ रहा है कि हिंदी अखबार पढने वालों में कुम्भ राशि वालों को खुश होना चाहिए, क्योंकि आज उन्हें भरपेट बढ़िया भोजन मिलने कि उम्मीद है. अब तक तो सरकारों पर ये आरोप लगते थे कि असन्तुलित विकास के चलते महानगरों की ओर पलायन हो रहा है. अब सरकार क्या करे जब देश के सारे भुक्खड़ राजधानी मे ही पहुच गए हैं.
ज्योतिषियों की समस्या ये है कि पहले तो तोते से कागज उठ्वाते थे जिसमे लिखा होता था कि आप करोड़पति बनने वाले हैं. कचहरी के नजदीक का तोता मुकदमे जीतने की भविष्यवाणी करता था, लेकिन अब वो दिल्ली वालों को बतायेगा कि आज तुम्हे भरपेट भोजन मिल जायेगा. ये अलग बात है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला जीं भी उत्तर प्रदेश की हैं. इन्हें बुरा लगता है कि लोग दिल्ली आते हैं और दिल्ली को भुक्खड़ बनाते हैं. क्या करें? विदेशी भारत को भूखा नंगा देश कहते हैं और दिल्ली वाले उत्तर प्रदेश और बिहार को, और उत्तर प्रदेश और बिहार वाले कुछ जिलों को. लेकिन भविष्य बताने वालों को तो अपनी दुकान बचाने के लिए अब दिल्ली के हिंदी अखबारों मे यही बताना पड़ेगा कि आज तुम्हे भरपेट भोजन मिल जायेगा. तभी चलेगी दुकानदारी. किसी शायर ने दिल्ली के लिए ही शायद खास लिखा था ....
मेरी खता मुआफ, मैं भूले से आ गया यहां.
वरना मुझे भी है खबर, मेरा नही है ये जहाँ..
सत्येंद्र प्रताप
ज्योतिषियों की समस्या ये है कि पहले तो तोते से कागज उठ्वाते थे जिसमे लिखा होता था कि आप करोड़पति बनने वाले हैं. कचहरी के नजदीक का तोता मुकदमे जीतने की भविष्यवाणी करता था, लेकिन अब वो दिल्ली वालों को बतायेगा कि आज तुम्हे भरपेट भोजन मिल जायेगा. ये अलग बात है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला जीं भी उत्तर प्रदेश की हैं. इन्हें बुरा लगता है कि लोग दिल्ली आते हैं और दिल्ली को भुक्खड़ बनाते हैं. क्या करें? विदेशी भारत को भूखा नंगा देश कहते हैं और दिल्ली वाले उत्तर प्रदेश और बिहार को, और उत्तर प्रदेश और बिहार वाले कुछ जिलों को. लेकिन भविष्य बताने वालों को तो अपनी दुकान बचाने के लिए अब दिल्ली के हिंदी अखबारों मे यही बताना पड़ेगा कि आज तुम्हे भरपेट भोजन मिल जायेगा. तभी चलेगी दुकानदारी. किसी शायर ने दिल्ली के लिए ही शायद खास लिखा था ....
मेरी खता मुआफ, मैं भूले से आ गया यहां.
वरना मुझे भी है खबर, मेरा नही है ये जहाँ..
सत्येंद्र प्रताप
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