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नेपाल के घटनाक्रम

  टाइम मैगज़ीन के प्रभावशाली नेताओं की सूची हिंदी के अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय लेखकों की सूची से जरा भी अलग नहीं है। ● नेपाल जैसे छोटे देश के किसी युवा नेता का टाइम मैगज़ीन के तथाकथित प्रभावशाली नेताओं की सूची में शामिल होने का मतलब ही है सीआईए का कठपुतली होना। ● भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन सीआईए का सबसे प्रिय और time tested formula है। NGO सबसे सुरक्षित हथियार। सीआईए को खर्च करना पड़ता है सिर्फ पैसा। ● यह पैसा NGO के मार्फ़त हर उस जगह बंटता है, जहाँ से सत्ता और व्यवस्था को प्रभावित किया जाता है। ऐसी अराजकता अचानक नहीं फैलती। यह सुनियोजित होती है और बोरसी की आग की तरह धीरे धीरे सुलगाई जाती है। फिर एक दिन मीडिया का निर्मम इस्तेमाल करके इसमें पेट्रोल से लेकर स्पिरिट तक सब डाल दिया जाता है। ● भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन वास्तव में वास्तव में भ्रष्टाचार के जरिये ही होता है। परम भ्रष्ट और रीढ़विहीन आदमी को इसमें राजा हरिश्चंद्र बनाकर पेश किया जाता है। सब हो जाने और कठपुतली बैठ जाने के दो-चार साल बाद पता चलता है कि बेचारा भ्रष्टाचार, जिसे हम खत्म करने चले थे, वो तो कई लाख गुना और ज्यादा बढ़ गय...

इतना भी अशुभ नहीं होगा ग्रहण

  इष्ट देव सांकृत्यायन   ॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः॥ यद्येकस्मिन् मासे ग्रहणं रविसोमयोस्तदा क्षितिपाः। स्वबलक्षोभैः संक्षयमायांत्यतित्यतिशस्त्रकोपश्च॥ अर्थात यदि एक ही मास में सूर्य और चंद्र दोनों का ग्रहण हो तो अपनी-अपनी सेनाओं में हलचल मच जाने से या शस्त्रप्रहार से राजाओं का नाश होता है।   यह महर्षि वराहमिहिर कृत बृहत्संहिता के राहुचाराध्यायः का 26वाँ श्लोक है। कल एक मित्र ने बताया कि कोई दैवज्ञ ऐसा कह रहे हैं कि देश की सेनाओं में हलचल मच जाएगी। युद्ध तो होगा ही होगा , सरकार भी पलट जाएगी। मैंने दैवज्ञ जी को सुनने की जरूरत नहीं समझी। कौन सुने और क्यों ही सुने! आजकल सोशल मीडिया पर दैवज्ञ लोगों की बाढ़ हुई है। 56 साल के युवा नेता वाले देश में 20-30 साल के व्यापारधर्मा विद्वान अपने को खुद ही सद्गुरुदेव कह रहे हैं , जिन्हें कभी किसी सद्गुरु का दर्शन तक नहीं हुआ और रोज विज्ञापन पर विज्ञापन और व्हाट्सएप दर व्हाट्सएप ठेले जा रहे हैं कि बस हमसे अभिये मोक्ष की दीक्षा ले लो , नहीं तो टेम बीता जा रहा है। ऐसे ही कोई दैवज्ञ रहे होंगे और कहीं किसी अपने को पोलिटिकल कहने वाले गि...

श्रीमान हमलावर की माँ

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इष्ट देव सांकृत्यायन  हमलावर की माँ कितनी अच्छी माँ हैं! कितनी भली माँ हैं! कितनी समझदार और कितनी भोली-भाली माँ हैं! शायद उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया इतनी ही भोली भाली माँ हैं। उन्होंने यह तो बता दिया कि बेटा पशुप्रेमी है और कुत्तों को शेल्टर में भेजने के फैसले से दुखी था। लेकिन यह नहीं बताया कि वह किस गिरोह का गुर्गा है और किसके इशारे पर दिल्ली की मुख्यमंत्री की हत्या करना चाह रहा था। वह कैसा पशुप्रेमी है कि उसे यह नहीं पता है कि यह फैसला दिल्ली की मुख्यमंत्री ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट के एक मी लॉर्ड ने की है और मी लॉर्ड किसी और कि ओर से दाखिल की गई याचिका पर नहीं, सुओ मोटो यानी स्वतः संज्ञान लेकर यह काम किया है। उस सुप्रीमकोर्ट में जहां लाखों मुकदमों पर सैकड़ों साल से सिर्फ तारीखें दी जा रही हैं। ऐसे मुकदमों पर जिनमें गरीब लोग खाने बिना मर रहे हैं। लेकिन ये मसला उन्हें जरूरी नहीं लग रहा। क्योंकि शायद दूसरी तरफ से फाइलों पर बड़ा भार आ गया है। लेकिन यह स्वतः संज्ञान बड़ा जरूरी था। इस फैसले के खिलाफ मैं भी हूँ और केवल इसीलिए कुछ लोग मुझे कुत्ताप्रेमी समझ बैठे। अगर यह कुत्ताप्रेमी होना ...

आपदाओं के दुष्चक्र में फँस रहा अमेरिका-2

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इष्ट देव सांकृत्यायन [गतांक से आगे] ॥श्रीगुरुचरणकमलेभ्यो नम:॥ आपदाओं के दुष्चक्र में फँस रहा अमेरिका-1 वही दौर 2015 में फिर से शुरू हुआ। 2015 तक अमेरिका एक महाशक्ति बन चुका था। 2015 में राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका के पास एक सधा हुआ व्यक्ति था – बराक ओबामा। लेकिन याद करें तो आप पाएंगे कि टोर्नाडो , मेगा सुनामी , फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की घटनाओं ने उस साल अमेरिका को एक तरह से घुटनों पर ला दिया था। इसकी शुरुआत भी दावानल से ही हुई थी और यह आग भी कैलिफोर्निया से ही शुरू हुई थी। 2015 के बाद से ऐसा एक भी साल नहीं है जब प्राकृतिक आपदाओं में बड़े पैमाने पर लोगों की जान न जा रही हो। कोरोना की रोकथाम में उनकी व्यवस्था पूरी तरह विफल सबित हुई। यह धौंसबाज अमेरिकी प्रशासन के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है। तब अमेरिका के राष्ट्रपति यही ट्रंप महाशय थे। 2020 में अर्थव्यवस्था की हालत यह हो गई थी कि इनका जीडीपी ग्रोथ रेट माइनस में चला गया था। अशिक्षा , महंगाई और बेकारी बेतहाशा बढ़ी है। फिस्कल डेफिसिट हर साल बढ़ रही है। राष्ट्रीय ऋण का हाल भी यही है। अमेरिका के कई राज्यों की हालत बद से बदतर होती गई है। ख...

आपदाओं के दुष्चक्र में फँस रहा अमेरिका-1

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  इष्ट देव सांकृत्यायन ॥श्रीगुरुचरणकमलेभ्यो नम:॥ गुरु के अतिचारी होने के साथ ही ज्योतिषी बड़े बदलावों की घोषणा करने लगे थे। कोई विश्व व्यवस्था में बदलाव की बात कर रहा है तो कोई प्रलय की। आज की दुनिया में अमेरिका की एक बड़ी हैसियत है। विश्व व्यवस्था में अगर कोई बदलाव होता है तो अमेरिका केंद्रीय भूमिका में न हो , यह हो ही नहीं सकता। यह अलग बात है कि आने वाले समय में वह हाशिये पर चला जाए , पर आज उसकी उपेक्षा करके हम विश्व-व्यवस्था संबंधी किसी भी प्रक्रिया को नहीं देख सकते। इसलिए जरूरी है कि एक बार मेदिनी ज्योतिष की दृष्टि से अमेरिका के प्रारब्ध पर विचार किया जाए। ध्यान रहे , मेदिनी ज्योतिष समष्टि चेतना के विश्लेषण की व्यवस्था है। इसके लिए व्यक्ति नहीं , समूह महत्त्वपूर्ण होता है। वह समूह देश , राज्य , शहर , संगठन या गाँव के रूप में भी हो सकता है। पिछले साल जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव चल रहे थे , तब मैंने एक लेख लिखा था। मैंने उसमें चार निष्कर्ष दिए थे – ·         नया राष्ट्रपति जो भी हो , वह अपने फैसले खुद नहीं ले सकेगा। बहुत हद तक संभावना...

ट्रंप का ट्रंपेट और दर्द का रिश्ता

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इष्ट देव सांकृत्यायन अमेरिका की अपनी अर्थव्यवस्था की बात करें तो 2025 के लिए उसका प्रोजेक्टेड रीअल जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 1.8 प्रतिशत है। अमेरिका आज भी कई बार जिसके गुलाम की तरह व्यवहार करता है , उस यूनाइटेड किंगडम का ग्रोथ रेट केवल 1.1 प्रतिशत रह गया है। रशियन फेडरेशन का 1.5 , जापान का 0.7 , जर्मनी का 0.4 और चीन का 4 प्रतिशत है। इन हालात में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अकेला भारत है जिसका प्रक्षेपित वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत है। भारत विश्व की पाँचवीं से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यहाँ तक अमेरिका किसी तरह पचा लेता , अगर भारत अमेरिका का पिछलग्गू बना रहता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2014 के बाद के भारत ने अमेरिका को हर तरह से उसकी औकात बताई है और सीधे न सही तो प्रकारांतर से उसकी हदों में रहने के लिए कहा है। किरना हिल्स पर निशाना साधकर भारत ने केवल पाकिस्तान की छाती ही नहीं , अमेरिका के गाल पर भी तमाचा मारा है। सबसे हाइटेक , एडवांस और कटिंग एज बताए जाने वाले लड़ाकू विमान एफ 35 को जिस तरह केरल में उतारा गया और अमेरिका व यूके के इंजीनियर लाख कोशिशों के बावजूद उसे साबुत उड़ा...

आश्चर्यचकित कर देंगे मंगल और केतु

  ॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः॥ सिंह राशि में मंगल और केतु की खतरनाक युति 7 जून से ही चली आ रही है। सन 1989 के बाद बना यह योग डेढ़ महीने में ही जो-जो परिणाम दिखा चुका है , उसका प्रभाव आप स्वयं अनुभव कर रहे होंगे। मेरे मित्रों को याद होगा , पिछले दिनों जो कुछ हुआ है , ग्रह-नक्षत्रों की गति के आधार पर उसका पूर्वानुमान मैं पहले ही कर चुका था। मेरा उद्देश्य किसी को भयभीत करना या किसी के काम में बाधा डालना नहीं , बस इतना है कि लोग सचेत रहें। आगे और सँभल कर चलने की जरूरत है। हालाँकि आने वाला समय केवल खतरनाक ही नहीं है , भारत के लिए बड़ी उपलब्धियों वाला भी है। ये उपलब्धियाँ रक्षा क्षेत्र में दुनिया भर को आश्चर्यचकित कर देने वाले आविष्कार से संबंधित होंगी। लेकिन इसकी जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। इसका पता मंगल की महादशा शुरू होने और उसमें मंगल का अंतर बीतने के बाद चलेगा। मंगल पूर्वा फाल्गुनी में 30 जून को ही आ चुके हैं और 7 जुलाई को केतु भी इसी नक्षत्र में आ गए। गत 21 जुलाई को दोनों अंशों के स्तर पर भी अत्यंत सन्निकट आ चुके हैं। दोनों ग्रह एक ही यानी 26 अंश पर हैं। इस तरह दोनों एक ...

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