अपनी राम कहानी है

रतन 
सपनों के बारे में कहना
सपनों के बारे में कहना
कुछ कहना बेमानी है 
दुनिया के लोगों जैसी ही 
अपनी राम कहानी है 
सोना चांदी महल इमारत 
सब कुछ पल के साथी हैं 
सच यह है कुछ और नहीं है
जीवन दाना पानी है 
गम और खुशियाँ रात दिवस ये 
शाम सुबह और सूरज चाँद 
ये वैसे ही आते जाते 
जैसे आनी जानी है 
अगर मगर लेकिन और किन्तु 
ये सब हमको उलझाते 
इन पर वश तब तक चलता है 
जब तक साथ जवानी है 
अपनी राह नहीं है सीधी 
चिंता गैरों को लेकर 
उनके बारे में कुछ कहना 
आदत वही पुरानी है
 
 
 
 
 
 
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