दूर आसमान रहे

रतन
उडो तो ऐसे कि पीछे हर इक उडान रहे
इतना आगे बढ़ो कि दूर आसमान रहे
हद हो इतना कि कोई बात भी न हो पाए
फासला ऐसा तेरे मेरे दरमियान रहे
न ही माजी न ही आगे की बात हो कोई
न कुछ न संग तेरी यादों का सामान रहे
हुए हो दूर मगर मेरी सदा रखना याद
कभी न हम मिलें दिल में यही गुमान रहे
भूल से मिल गए कहीँ भी एक पल के लिए
निगाह बात करे लब ये बेजुबान रहे
पाक तुम भी रहो और पाक हमें भी रखना
चाक न दिल हो न तन ही लहूलुहान रहे
हंसी दुनियाँ है मेरी तुम न इसे नर्क बना
पान हो मुँह में तो हाथों में पीकदान रहे
अगर करोगे ग़लत बद्दुआ करेंगे सभी
कि परेशान मैं ज्यों तू भी परेशान रहे
ए रतन कर दुआ कि सारा जहां रोशन हो
और मेरे सिर पे भी खुदा का साईबान रहे

Comments

  1. वाह रतन भाई, बहुत खूब!!

    ए रतन कर दुआ कि सारा जहां रोशन हो
    और मेरे सिर पे भी खुदा का साईबान रहे

    -क्या बात कही है!! दाद कबूलें.

    ReplyDelete
  2. really----great. I think this is great vision and reflect in word through heart.
    Ramesh Mishra

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का