जनता का ध्यान भटकाने का खेल

इष्ट देव सांकृत्यायन 

चीन एक ऐसा परोपकारी है जो चश्मा थमाकर आँखें छीन लेता है और चश्मा भी ऐसा जो सिर्फ़ धूप का होता है. कुछ नज़र आए तब तक तो वो अपने शिकार के पास आँखें होने का निशान भी ग़ायब कर देता है.

भारत ने नेहरू के हाथ में अपनी कमान सौंपकर सिर्फ गलती की थी. उनके खानदान को सौंपकर ब्लंडर किया. ऐसी गलती जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती.

नेपाल की जनता ने कम्युनिस्टों पर कभी भरोसा नहीं किया. उसकी गलती सिर्फ यह है कि राजपरिवार के नरसंहार के बाद उसके पास कोई चारा नहीं बचा. दुर्भाग्य से माओवादियों के इस कुकृत्य में हिस्सेदार ख़ुद राजपरिवार के ही कुछ लोग हुए. इसका अभिप्राय उस युवराज से कतई न लिया जाए जिनके सिर बाद में बेवजह सारा दोष मढ़ा गया.

उस वक्त जनता के पास कोई चारा नहीं था. सिवा इसके जो भी तथाकथित लोकतांत्रिक प्रक्रिया घोषित कर देती, उसे ही वह मान लेती. इसी क्रम में चीन के पोषित कम्युनिस्टों ने जबरिया नेपाल पर कब्जा कर लिया.

चीन ने वहाँ एक झूठमूठ की सत्ता सौंपी नेपाली कम्युनिस्टों को और परदे के पीछे से चलाता वह खुद रहा. बीते करीब दो दशकों से चीन लगातार नेपाल की व्यवस्था को अराजकता की ओर धकेल रहा है. इस अराजकता की शुरुआत उसने नेपाल की शिक्षा व्यवस्था से की है. यद्यपि इसका असर आम जनता को देर से दिखेगा. लेकिन पढ़े-लिखे लोग इस प्रभाव को समझने लगे हैं.

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दूसरी तरफ उसने एक-एक कर नेपाल के इलाकों पर अपना कब्जा जमाना भी शुरू कर दिया है. कब्जे के इस कृत्य का नवीनतम शिकार नेपाल के गोरखा इलाके के रुई और तेइगा गाँव हैंं. तीन साल पहले तक ये दोनों गाँव नेपाल के हिस्से थे. इन्हें कभी किसी संधि या युद्ध के तहत किसी और को नहीं दिया गया. लेकिन अब इन दोनों ही गाँवों पर चीन का कब्जा हो चुका है.

भारत के साथ सीमा को लेकर जो विवाद ओली सरकार उठा रही है, वह दरअसल केवल इन गाँवों से जनता का ध्यान हटाने के लिए है. हालांकि जनता का ध्यान वे कितना हटा पाएंगे, यह समय बताएगा. क्योंकि उत्तरी नेपाल में यह एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. चीन उधर कई गाँवों की जमीनों पर या तो अपना कब्जा जमा चुका है या फिर जमाने की तैयारी में है. नेपाल के कम्युनिस्ट नेताओं की अपनी मजबूरियां हैं. यह सर्वविदित है कि वे चीन के सामने किस कदर बेचारे हैं और क्यों?

दूसरी ओर उत्तरी नेपाल की आम जनता में इसे लेकर गहरा आक्रोश है. इधर उधर केवल ध्यान भटकाने का खेल कुल कितने दिन काम आएगा, यह समय बताएगा.

 


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