योगक्षेमम् वहाम्यहम्


इष्ट देव सांकृत्यायन

विनम्र अनुरोध: परछिद्रान्वेषक कृपया सुरक्षित दूरी बनाए रखें. जिज्ञासाओं का समाधान करने की कोशिश तो हो सकती है, मूर्खतापूर्ण बकवासों का जवाब बिलकुल नहीं दिया जाएगा.

अकेलापन आज के समाज की एक बड़ी और विकट समस्या है. महानगरों में तो यह बहुत पहले ही एक महामारी का रूप ले चुका है. गाँवों में भी इसकी व्याप्ति कम नहीं रह गई है. रोजगार की तलाश में गाँव के युवा शहरों का रुख कर रहे हैं और शहरों के युवा विदेशों का. जो युवा अपना घर-परिवार छोड़कर दूर जा रहे हैं, वे वहाँ अलग तरह से अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं और जो जिनके बच्चे उनसे दूर जा रहे हैं, वे बुजुर्ग अलग ढंग के अकेलेपन के शिकार. मने हम यहाँ इधर तन्हा, तुम वहाँ उधर तन्हाजैसा हाल है कुछ. इस बीच ये कोरोना इफेक्ट और आ गया. जो शिकार हुए वे तो वे, जो अभी तक बचे हैं वे भी आइसोलेट. कुछ आइसोलेट कर दिए तो कुछ हो गए. आइसोलेशन या क्वारेंटीन... सबकी मजबूरी हो गई है.

ईश्वर करें कि जल्दी इस समस्या से मुक्ति मिले. लेकिन क्या होगा, कैसे कहें! फिलहाल मुझे ऐसी संभावना दिखती नहीं. हालांकि भगवान से मना यही रहा हूँ कि मेरी आशंका निर्मूल सिद्ध हो. बहरहाल, जो वस्तुस्थिति सामने है, उसका सामना तो करना ही है. केवल मुझे ही नहीं सबको. उन्हें भी जो परिवार के साथ हैं, उन्हें भी जो अकेले हैं और उन्हें भी जो भीड़ में रहते हुए या भीड़ जुटाकर भी अकेले हैं. अकेलापन बहुतों की त्रासदी है और इस त्रासदी के साथ कई और त्रासदियाँ जुड़ी होती हैं.

सबसे ज़्यादा लोगों को डिप्रेशन का अटैक उसी वक़्त होता है जब वे अकेलेपन में होते हैं. अगर आपके लिए अकेलापन एक समस्या है तो घबराने की जरूरत नहीं है. वैसे सुझाने वाले आपको बहुत उपाय सुझाएंगे. सब अपने-अपने ढंग और अपनी-अपनी रुचि के अनुकूल. कोई कहेगा किताबें पढ़ो, कोई बताएगा फिल्में देख लो और कोई संगीत सुनने, कविताएँ लिखने या चित्रकारी का सुझाव देगा. लेकिन ये सब चीज़ें एक हद के बाद बोरियत में बदल जाएंगी. एक हद के बाद इन्हें करना और करते हुए अपनी रुचि बनाए रख पाना कठिन हो जाएगा.

आपकी रुचि अकेलेपन के दौर में भी, घर बैठे रहते हुए भी, अपने काम में बनी रहे और आप बोर न हों, साथ ही अपनी रुचि को पूरा करते हुए आप अपना इम्यून भी बढ़ा सकें, ऐसे भी उपाय हैं. क्योंकि केवल आपका इम्यून ही कोरोना का शत-प्रतिशत रोधक उपाय है. बाकी कुछ भी पूरा काम आने वाला नहीं है. आपका इम्यून जितना मजबूत होगा, आप उतने ही सुरक्षित हैं. इसलिए उपाय ऐसा अपनाएं जो आपका इम्यून बढ़ाए और मन की शांति बनाए रखे. मुश्किल स्थितियों से निपटने में आपका सहयोगी सिद्ध हो.

मेरी समझ से इसका सर्वोत्तम उपाय है योग. वैसे योग के कुल आठ चरण हैं, लेकिन उन पर अमल करना सबके लिए संभव नहीं है. आसन बिना पूर्व प्रशिक्षण के खतरनाक हो सकता है. केवल वही लोग कर सकते हैं जो पूरे स्वस्थ हों. हाँ, प्राणायाम, खासकर प्राणशोधन, जिसे स्वामी रामदेव ने अनुलोम-विलोम के नाम से काफ़ी लोकप्रिय कर दिया है, काफी उपयोगी है. यह किसी भी आयुवर्ग का और कैसी भी सेहत वाला व्यक्ति कर सकता है. इसके लिए कोई मनाही किसी के लिए भी नहीं है.

इसमें सबके लिए और सबसे उत्तम और आसान उपाय है योगनिद्रा. किसी बहुत प्रशिक्षण की आवश्यकता भी इसके लिए नहीं है. वैसे मैंने यह स्वामी वेद भारती जी से सीखा. लेकिन यूट्यूब पर आपको रिखिया आश्रम से जुड़े स्वामी निरंजनानंद जी का एक विडियो मिल जाएगा. करीब 45 मिनट का है. डाउनलोड करें और जुट जाएं. इसमें एक चरण ऐसा आता है जब आपको बैठने के लिए कहा जाएगा. कुछ लोगों के लिए घुटनों या कमर में कष्ट के कारण बैठना कठिन होता है. वे चाहें तो जहाँ लेटे हों, वहीं से नीचे पैर लटका कर बैठ जाएं या वह क्रिया भी लेटे-लेटे ही पूरी कर सकते हैं. इसमें कोई बाधा नहीं आती.

जिन लोगों ने पहले कभी ध्यान का अनुभव लिया हो, उनके लिए तो यह स्वर्णिम अवसर है. आप इत्मीनान से ध्यान कर सकते हैं. आधे-एक घंटे का ध्यान ही आपको बहुत सारी समस्याओं से मुक्ति दिला देगा. किसी बहस-मुबाहिसे में न उलझें, करके देखें. कोई समस्या आए तो कमेंट के जरिये मुझे बताएं.
  
©इष्ट देव सांकृत्यायन


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