चुनाव: एक ज्योतिषीय विश्लेषण
मैंने पहले ही कहा था कि चुनाव पर अपना ज्योतिषीय आकलन मैं मतदान पूरा होने के बाद लिखूंगा। हालांकि यह आकलन कर मैं पहले ही चुका था, लेकिन पत्रकारिता की दुनिया में रहते हुए मैंने यह सीखा है कि जब तक मतदान चल रहे हों, उनके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं करनी चाहिए। उन बुद्धिजीवियों और निष्पक्ष पत्रकारों की बात छोड़ दीजिए जिन्हें लोकतंत्र केवल तभी तक सुरक्षित दिखता है जब तक कि वह एक कुल विशेष की भारी तशरीफ के नीचे पिसता रहे। एक मित्र के पूछने पर मैंने एक हल्का सा संकेत दिया था तो वह भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक एजेंसी में कभी मैनेजर रहे और अब अपने को पत्रकार बताने वाले एक सज्जन को बहुत नागवार गुजर गई। उन्होंने मोदी का दलाल घोषित कर दिया। जब मैंने उनकी बात का तार्किक जवाब दिया तो बेचारे मुझे ब्लॉक करके खिसक लिए।
खैर, आइए अब चुनाव और इसके संभावित परिणाम पर बात करते हैं। चुनाव भारत के हो रहे हैं, मोदी, या राहुल, या किसी और के नहीं। मोदी या राहुल संभावित प्रधानमंत्री हो सकते हैं, लेकिन इस चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए नहीं, एक एमपी की हैसियत के लिए लड़ रहे हैं। इसी हैसियत के लिए देश में हजारों लोग लड़ रहे हैं और इस लिहाज से वे निष्पक्ष पत्रकारों और महान ज्योतिषियों के लिए भले कुछ अलग हों, मेरे लिए नहीं हैं। किसी उम्मीदवार को कितने वोट मिलेंगे या किसी पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इसकी गणना के लिए ज्योतिष में मेरी जानकारी में कोई विधान फिलहाल नहीं है। लेकिन यह आकलन जरूर किया जा सकता है कि सरकार पहले से मजबूत होगी या कमजोर। और यह आकलन भी भारतवर्ष की कुंडली के अनुसार किया जाना चाहिए, न कि किसी व्यक्ति की।
भारतवर्ष की लग्न कुंडली |
भारत की नवांश कुंडली |
सूर्य में बुध की अंतर्दशा थी
जब भारत में 2014 के आम चुनाव हुए। सूर्य भारत की कुंडली में चौथे भाव के स्वामी हैं, लेकिन बैठे तीसरे में हैं। अपने घर से बारहवें
यानी व्यय भाव। यह एक अच्छी स्थिति नहीं है। सूर्य के साथ ही शनि, शुक्र, बुध और चंद्र भी हैं। भावेश अपने भाव में बैठकर भी सूर्य के
साथ होने के नाते बली नहीं हैं। बल्कि अमावस्या दोष से ग्रस्त हो गए हैं। शनि और शुक्र
अस्त हो गए हैं। बुध चंद्रमा को शत्रु मानते हैं, यह अलग बात है कि चंद्रमा ऐसा नहीं मानते। परिणाम? हमारी शांतिप्रियता को पूरी तरह कायरता मान
लिया गया। आज जो पाकिस्तान सड़क का खौरहा कुत्ता बना हुआ है, उसी के एक प्रधानमंत्री ने किसी समय भारत के
एक बहुत पढ़े-लिखे (अगर डिग्री पढ़े-लिखे होने का अंतिम मानक है तो) प्रधानमंत्री को
गाँव की औरत कहा था। लेकिन एक बात और है। जब किसी एक ही भाव में चार या अधिक ग्रह बैठ
जाएँ तो वह विशिष्ट कारकत्व प्राप्त कर लेता है। यहाँ तीसरे यानी पराक्रम के भाव में
पाँच ग्रह हैं। सूर्य से किसी ग्रह के अस्त होने का अर्थ उसके प्रभाव का समाप्त हो
जाना नहीं होता, बल्कि साथ के सभी ग्रहों का प्रभाव देने की
जिम्मेदारी सूर्य पर आ जाना होता है। पराक्रम के भाव का कारकत्व सूर्य के पास होते
हुए शांतिप्रियता अपना लेना सबसे बड़ी गलती थी। नवांश में सूर्य ही भारत के लग्न में
हैं और मंगल दशमस्थ। इस लिहाज से यह और बड़ी गलती थी। घर में घुसकर मारने की नीति अपनाने
के बाद जो हुआ है, वह आपके सामने है।
नरेंद्र मोदी की लग्न कुंडली
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि
कोई कमजोर सरकार ऐसा करेगी? सरकार मजबूत भी हो तो भी ऐसा करने
का दम और किसमें है? क्या उनसे आप ऐसी उम्मीद कर सकते हैं जिन्होंने
अंग्रेजों के लिए जर्मनों से सिर कटाने को फौज में भारतीयों को भर्ती करवाया और भारत
की आजादी के लिए शांति का पाठ पढ़ाया? जो आज तक ये समझा रहे हैं कि आजादी तो हमें भीख में मिली है? अच्छा ऐसे भी सोचिए, पचपन साल के युवा नेता की कुंडली पर तो कोई
क्या ही विचार करे!
नरेंद्र मोदी की नवांश कुंडली
यह लग्नस्थ चंद्र युत मंगल का प्रभाव है। वृश्चिक लग्न में छठे यानी रोग, ऋण, शत्रु और प्रतिस्पर्धा के भाव में मेष राशि होती है। यह मंगल की मूल त्रिकोण राशि है। मंगल हाल ही में मीन छोड़कर मेष राशि में गए हैं। मीन में राहु के साथ होने के नाते ये अंगारक योग बना रहे थे। अग्नि मंगल का स्वभाव है। मेष इनके प्रभाव का मुख्य क्षेत्र। इसलिए अग्नि कांडों से अभी राहत मिलने वाली नहीं है। आग वाली सभी चीजों के संबंध में अत्यंत सावधान रहें। लेकिन अंगारक योग के बाकी दोष अब समाप्त हो गए। मंगल पर शनि की तीसरी दृष्टि भी पड़ेगी। भारत की कुंडली में यह पाँचवाँ यानी बौद्धिकता का घर है। देश में विभ्रम की भयावह स्थिति पैदा करने की पूरी साजिश रची जाएगी। गृहयुद्ध जैसे हालात बनाने की साजिशें होंगी। कुछ विदेशी ताकतें कुछ नेताओं के जरिये इसके धन-बल का प्रयोग करेंगी। लेकिन यह कोशिश सफल नहीं होगी। फिर भी नुकसान तो होगा।
वे सफल इसलिए नहीं होने पाएंगे
क्योंकि मोदी की कुंडली में मेष राशि छठवें भाव में है। जीतने के अलावा उनके पास कोई
चारा नहीं है। वर्तमान सरकार और अधिक मजबूत स्थिति में वापसी करेगी। लेकिन इस सरकार
के सामने चुनौतियाँ भी बहुत मजबूत होंगी और वह आरंभ से ही होंगी। भारत के राशि कर्क
है और शनि फिलहाल कुंभ में हैं। यानी गोचर के अनुसार आठवें भाव में। आने वाले दिनों
में न्यायपालिका की अभूतपूर्व भूमिका होने वाली है और साथ ही उसके अपने भीतर युगांतरकारी
परिवर्तन भी।
चुनौतियों और बड़े परिवर्तनों पर फिर कभी....
बधाई मजबूत सरकार के लिए
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