nijikaran

--------- गतांक से जारी ---- समापन किश्त


एक अन्य महत्त्वपूर्ण विभाग जिसका निजीकरण किया गया , वह था पुलिस विभाग। सरकार ने देखा कि तनख्वाह बढ़ाने के बाद भी अपराधों में कमी नहीं आई है तो निजीकरण का मन बन ही गया। पुलिस की कमाई बढ़ाने के लिए न जाने कितने नियम बनाए गए, कितन प्रशिक्षण दिया गया, परन्तु परिणाम ढाक के वही तीन पात! अन्ततः निजीकरण हो ही गया। एक झटका तो लगा पुलिस को, लेकिन संभल गई। सरकार तनख्वाह ही तो नहीं देगी! पहले ही कौन सा खर्च चल जाता था? हाँ,यही न कि आयकर रिटर्न भरना आसान हो जाता था। असली साधन तो कानून था, वह तो अभी भी हाथ में दे ही रखा है। निजीकरण के बाद विभाग में व्यापक परिवर्तन हुए। चहुँओर शान्ति छा गई ।अब उपभोक्ता वाद के मज़े आने लगे! police ने अनेक प्रकार के शुल्क निर्धारित कर दिए, यथा-सुरक्षा शुल्क, पिटाई शुल्क , षिष्टाचार शुल्क आदि। सुरक्षा शुल्क वह शुल्क था जो सम्मानित नागरिक चोर-डाकुओं से सुरक्षित रहने के लिए जमा कराते। यह अनिवार्य शुल्क था। सम्मान शुल्क जमा कराने वाला नागरिक पुलिस की गाली अकारण प्राप्त करने से बच सकता था। विशेष सम्मान शुल्क दाता नागरिक पुलिस वालो से सम्मान भी पाता और पुलिस उत्सवों में भी बुलाया जाता। अनादर शुल्क ,पिटाई शुल्क ,गाली शुल्क , जमा कराके कोई नागरिक अपने इच्छित व्यक्ति का अनादर या पिटाई इत्यादि करा सकता था। इसके अलग- अलग ग्रेड थे।ये शुल्क सुरक्षा एवं सम्मान शुल्क से अधिक थे। यदि कोई सम्मान या षिष्टाचार शुल्क दाता का अपमान कराना चाहता तो उसे ऊँची धन rashi जमा करानी पड़ती। ऐसी स्थिति में वांछित व्यक्ति को सूचित किया जाता। सूचना में पुलिस इस बात का उल्लेख करती कि उक्त व्यक्ति पर कितनी धनराषि लगाई गई है। सम्मानित व्यक्ति उससे अधिक शुल्क जमा कराकर इस प्रकार के दंड से बच सकता था। प्रयोग सफल रहा।न कहीं चोर ,न कहीं डाकू।न दंगे न फसाद!एक - एक कर हर विभाग का निजीकरण कर दिया गया।आमदनी कम हो गई तो विष्वबैंक से कर्ज लेकर सांसदों- विधायकों का खर्च चलाया गया। pradesh सरकारों का निजीकरण किया गया।आज वह ऐतिहासिक दिन भी आ गया कि केन्द्रीय सरकार का भी निजीकरण विज्ञापित हो गया है। निविदाएँ भरी जाएंगी, बोली लगेगी, निजीकरण होगा पर घसीटा दास ,कुछ अन्य लोगों सहित मेरी भी ishwar से यही प्रार्थना है कि बोली किसी नेता के नाम न छूटे!

Comments

  1. सुस्वागतम!
    सुन्दर व्याख्या।
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. अच्छी व्याख्या प्रस्तुत की आपनें ,आभार .

    ReplyDelete
  3. एक सुंदर लेख
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  4. आपकी प्रार्थना में हम भी शामिल हैं।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    ReplyDelete
  5. अविनाशजी
    बिलकुल सहीटिप्पणी के लिये धन्यवाद ।
    हरिशंकर राढी

    ReplyDelete
  6. Really its nice one.Ab ata rahunga !!

    ReplyDelete
  7. एक बात आपने नहीं बताई, इसका विनिवेश हुआ किसके नाम? पक्का किसी माननीय माफिया जी ने ख़रीदा हुआ होगा!

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Bhairo Baba :Azamgarh ke

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का

आइए, हम हिंदीजन तमिल सीखें