श्रीमान हमलावर की माँ
इष्ट देव सांकृत्यायन
हमलावर की माँ कितनी अच्छी माँ हैं! कितनी भली माँ हैं! कितनी समझदार और कितनी भोली-भाली माँ हैं! शायद उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया इतनी ही भोली भाली माँ हैं।
उन्होंने यह तो बता दिया कि बेटा पशुप्रेमी है और कुत्तों को शेल्टर में भेजने के फैसले से दुखी था। लेकिन यह नहीं बताया कि वह किस गिरोह का गुर्गा है और किसके इशारे पर दिल्ली की मुख्यमंत्री की हत्या करना चाह रहा था। वह कैसा पशुप्रेमी है कि उसे यह नहीं पता है कि यह फैसला दिल्ली की मुख्यमंत्री ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट के एक मी लॉर्ड ने की है और मी लॉर्ड किसी और कि ओर से दाखिल की गई याचिका पर नहीं, सुओ मोटो यानी स्वतः संज्ञान लेकर यह काम किया है। उस सुप्रीमकोर्ट में जहां लाखों मुकदमों पर सैकड़ों साल से सिर्फ तारीखें दी जा रही हैं। ऐसे मुकदमों पर जिनमें गरीब लोग खाने बिना मर रहे हैं। लेकिन ये मसला उन्हें जरूरी नहीं लग रहा। क्योंकि शायद दूसरी तरफ से फाइलों पर बड़ा भार आ गया है। लेकिन यह स्वतः संज्ञान बड़ा जरूरी था।
इस फैसले के खिलाफ मैं भी हूँ और केवल इसीलिए कुछ लोग मुझे कुत्ताप्रेमी समझ बैठे। अगर यह कुत्ताप्रेमी होना है तो ठीक है भाई, मैं कुत्ताप्रेमी हूँ। कम से कम कुत्ताद्रोही तो नहीं हूँ। मुझे कुत्ते ही नहीं, किसी भी जानवर से घृणा नहीं है। मैं गलियों में रहने वाले जानवरों को घर में रखने के पक्ष में नहीं हूँ। लेकिन कुत्तों के लिए किसी आदमी की हत्या करने के पक्ष में भी नहीं हूँ। वैक्सिनेशन के लिए ले जाए जा रहे जानवरों की गाड़ी का गेट खोलकर भाग जाने वालों के पक्ष में भी नहीं हूँ।
यह सब प्रेम में नहीं, साजिश के तहत किया जाता है। ऐसी साजिशों के पीछे किसी न किसी अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हाथ होता है। आज आपके जीवन का एक एक पल माफिया आक्रांत है। इसमें कोई भी घटना उतनी सीधी सादी नहीं है, जितनी वह ऊपर से दिखाई दे रही है। हर फिनमेना का एक ब्रॉड ऐंड डीप पर्सपेक्टिव है। उसका मोटिव ऐंड इंटेंशन जितना आपको स्पष्ट दिखाई दे रहा है, उससे बहुत ज्यादा कुछ छिपा हुआ भी है। यह बात मैं माननीय के फैसले के संदर्भ में भी कह रहा हूँ और पागलपन जैसे दिखने और प्रीटेंड किए जाने वाले हमले के परिप्रेक्ष्य में भी।
इन्हें पहली बार पता चला है कि कुत्तों के लिए शेल्टर हाउस बनाया जा रहा है और यह बहुत क्रूर है। है भी। मैं भी यही मानता हूँ। लेकिन इन्हें यह नहीं पता है कि भारत में रोज हजारों पशुओं की हत्या होती है। इन पशुओं में गाय, सांड, बकरी, भेड़ और मुर्गे से लेकर हिरन और खरगोश तक जाने क्या-क्या होते हैं। ये इतने पशुप्रेमी हैं और इन जानवरों के लिए जनाब को कभी आवाज भी उठाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। लेकिन ये कुत्तों को शेल्टर होम भेजे जाने के लिए एक राज्य की मुख्यमंत्री पर हमला कर सकते हैं, जो इस फैसले के लिए जिम्मेदार भी नहीं है।
बचकाने दिखने वाले ऐसे बेहद शातिर तर्क अब खूब आएंगे। राजनीति जेनज़ेड में पहुँच चुकी है। ये लोग साधारण हत्यारे नहीं, डीप स्टेट के एआई चालित रोबोट्स हैं। सचेत रहें।
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