हमाम में सब नंगे- दोषी कौन ?

कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया यानि कि लोकतंत्र के चार खम्बे... और आज ये चारों खम्बे धराशायी होने को हैं...संसद हो या विधानसभा या फिर नगर-ग्राम की चुनी हुई प्रतिनिधि सभाएं...आलम हर ओर एक जैसा ही है...भ्रष्टाचार आम है...सरकारें नकारा और निकम्मी सी हो गई हैं...नेताओं की दशा और दिशा देख सर धुनने का मन करता है...देर से मिलने वाला न्याय भी कई बार भ्रष्टाचार के दरवाजे से ही होकर गुजरता है...इन सब पर लगाम रखने और लोकतंत्र की चौकीदारी की जिम्मेदारी मीडिया की मानी जाती रही है, पर आज वहां भी आलम वही है...सब एक दूसरे के गलबहियां हो रहे हैं यानि कि हमाम में सब नंगे हैं...आखिर इस सबका दोषी कौन....?
वह जिसके पास सत्ता रही और जिसने सिस्टम को करप्ट किया...
ReplyDeleteभारतीय नागरिक जी के शब्द दर शब्द दुहराना चाहूंगी....
ReplyDeleteजिसके हाथों सत्ता और शक्ति होती है,जिम्मेवारी भी उसीकी होती है...
हाँ,कहा जा सकता है कि आप ऐसी सरकारें चुनते क्यों हैं ????
ReplyDeleteतो भाई साहब क्या सचमुच हमारे हाथों यह भी है कि हम इमानदार लोगों को कुर्सी तक पहुंचा सकें ????...
जहाँ कहीं मौका मिलता है,वहां जनता पीछे नहीं हटती...इमानदार लोगों को शीर्ष तक पहुंचा ही देती है,पर यह मौका मिलता कितनी बार है ???
व्यवस्थाओं को आवश्यकता है सतत देखभाल की।
ReplyDelete556405F10D
ReplyDeletekiralık hacker
hacker arıyorum
belek
kadriye
serik