कता

उम्मीद की किरण लिए अंधियारे में भी चल।
बिस्तर पे लेट कर ना यूँ करवटें बदल।

सूरज से रौशनी की भीख चाँद सा न मांग,
जुगनू की तरह जगमगा दिए की तरह जल ॥

-विनय ओझा स्नेहिल

Comments

  1. सूरज से रौशनी की भीख चाँद सा न मांग,
    जुगनू की तरह जगमगा दिए की तरह जल

    bahut adbhut vichaar sunder shabdon mein sajaaya hai

    shubhkamnaon sahit

    Devi

    ReplyDelete

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सुस्वागतम!!

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