आश्चर्यचकित कर देंगे मंगल और केतु

 

॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः॥

सिंह राशि में मंगल और केतु की खतरनाक युति 7 जून से ही चली आ रही है। सन 1989 के बाद बना यह योग डेढ़ महीने में ही जो-जो परिणाम दिखा चुका है, उसका प्रभाव आप स्वयं अनुभव कर रहे होंगे। मेरे मित्रों को याद होगा, पिछले दिनों जो कुछ हुआ है, ग्रह-नक्षत्रों की गति के आधार पर उसका पूर्वानुमान मैं पहले ही कर चुका था। मेरा उद्देश्य किसी को भयभीत करना या किसी के काम में बाधा डालना नहीं, बस इतना है कि लोग सचेत रहें। आगे और सँभल कर चलने की जरूरत है। हालाँकि आने वाला समय केवल खतरनाक ही नहीं है, भारत के लिए बड़ी उपलब्धियों वाला भी है। ये उपलब्धियाँ रक्षा क्षेत्र में दुनिया भर को आश्चर्यचकित कर देने वाले आविष्कार से संबंधित होंगी। लेकिन इसकी जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। इसका पता मंगल की महादशा शुरू होने और उसमें मंगल का अंतर बीतने के बाद चलेगा।

मंगल पूर्वा फाल्गुनी में 30 जून को ही आ चुके हैं और 7 जुलाई को केतु भी इसी नक्षत्र में आ गए। गत 21 जुलाई को दोनों अंशों के स्तर पर भी अत्यंत सन्निकट आ चुके हैं। दोनों ग्रह एक ही यानी 26 अंश पर हैं। इस तरह दोनों एक ही नवांश में आ गए। यह नवांश मंगल का है। वह भी कालचक्र की आठवीं राशि, यानी वृश्चिक में। आठवाँ घर रहस्यों का है। वह सब जो अज्ञात है, रहस्यमय है, अबूझ है, यहीं से देखा जाता है। यह शोध और अनुसंधान का भी घर है, खुफिया एजेंसियों की सक्रियता और उपलब्धियों का भी घर है, आकस्मिक घटनाओं का भी घर है, प्राकृतिक आपदाओं का भी घर है और साथ ही अंडरवर्ल्ड की खुराफाती गतिविधियों का भी घर है। केतु धर्मस्थलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। खासकर निवृत्तिमार्गी संन्यासियों से जुड़े धर्मस्थलों का। किसी बहुत बड़े धर्मस्थल पर कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है, अद्भुत और प्रत्याशित। यह अनहोनी पूर्वनियोजित होगी, षड्यंत्रकारी तत्त्वों द्वारा।

खुफिया एजेंसियों को एक सफलता और विफलता दोनों मिल सकती है। खुफिया एजेंसियों की सतर्कता से कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने से बचा ली जाएगी। लेकिन साथ ही, उनकी लाख सतर्कता के बावजूद कुछ घटनाएँ नहीं रोकी जा सकेंगी। पुलिस और सुरक्षाबलों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। उन पर घात लगाकर हमला भी हो सकता है। ऐसा भारत में भी होगा और पूर्वी यूरोप में भी। सिंहस्थ मंगल की चौथी दृष्टि वृश्चिक राशि पर होगी। सातवीं दृष्टि कुंभ राशि और आठवीं दृष्टि मीन राशि पर है। अरब सागर, प्रशांत महासागर और दक्षिण एटलांटिक महासागर से जुड़े क्षेत्रों में सतर्क रहने की जरूरत है। 25 से 28 जुलाई के बीच इनमें से किसी क्षेत्र में सुनामी जैसी स्थिति भी बन सकती है। ज्वालामुखी विस्फोट की आशंका कई जगहों पर है। भारत के उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और भूकंप जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।

भारत के राजनैतिक जगत में अचानक कोई निरर्थक बवाल खड़ा हो सकता है। इसकी शुरुआत बहुत छोटी बात से होगी, लेकिन इसे बड़ा बवंडर बनाने की कोशिश की जाएगी।  

शी जिनपिंग फिलहाल दिखने लगे हैं और चीन में यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि सब ठीक है, लेकिन सच यह है कि वहाँ कुछ भी ठीक नहीं है। यद्यपि वहाँ मीडिया के नाम पर केवल पार्टी के मुखपत्र हैं और कुछ भी बाहर पता नहीं चलने पाता। लेकिन अब दुनिया जान चुकी है कि जिनपिंग केवल मुखौटे बनाकर छोड़ दिए गए हैं। मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि आने वाला समय बताएगा। ग्रह स्थितियों का अध्ययन अगर सही है तो वहाँ एक और थेन आन मन चौक की नींव पड़ चुकी है और इस बार उसे दबा पाना चीन की सरकार के लिए संभव नहीं होगा। 7 जून से अब तक के बीच इसकी नींव पड़ चुकी है। 28 जुलाई से पहले ही यह नींव पुख्ता हो जाएगी। मई 2026 तक बहुत कुछ दुनिया के सामने होगा।

 

 

 

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