ये हादसों का दौर है, सँभलकर चलें

॥श्री गुरुचरण कमलेभ्यो नमः॥ 

मंगल 7 जून को सिंह राशि में आ गए हैं और 28 जुलाई तक यहीं बने रहेंगे। केतु वहाँ पहले से ही मौजूद हैं। शनि मीन राशि में हैं, मंगल और केतु के साथ षडाष्टक बना रहे हैं। स्वाभाविक रूप से राहु से उनका द्विद्वादश संबंध बन रहा है। इसके बावजूद शनि थोड़े नियंत्रण में हैं। क्योंकि उन पर मिथुन में स्थित गुरु की दृष्टि है। यद्यपि इस समय गुरु स्वयं अस्त हैं और अतिचारी तो हैं ही। राहु उनकी दृष्टि से भी ओझल हैं और हों भी तो ऐसी स्थिति में राहु पर गुरु की दृष्टि बहुत प्रभावी नहीं होगी। एयर इंडिया विमान हादसा, ईरान पर आक्रमण, कंटेनर शिप में आग लगना और कई जगहों पर आगजनी की छिटपुट घटनाएँ जो हो चुकीं, उनके चलते जन-धन की जो क्षति हुई, उस पर अब केवल दुख जताया जा सकता है। उस क्षति की भरपाई किसी भी तरह नहीं की जा सकती। लेकिन आगे भी अभी बहुत सचेत रहने की जरूरत है। खासकर 28 जुलाई तक। सचेत इसलिए रहना चाहिए क्योंकि यह अंतिम नहीं है। भविष्य के गर्भ में अभी और भी कई अप्रिय घटनाएँ हैं।


मंगल और केतु की युति जब तक हैतब तक बहुत सचेत रहना चाहिए। इस युति को अत्यंत अशुभ कहा गया है। वैसे तो परंपरागत तरीके से इसे ज्वालामुखी योग कहते हैं, आधुनिक ज्योतिषियों में कुछ लोग इसे पिशाच या अंगारक योग का नाम भी देते हैं। युद्ध की आशंकाएँ पहले ही जताई जा चुकी हैं। पूरा मध्य एशिया और मध्य यूरोप अभी लंबे समय तक युद्ध की चपेट में रहेगा। इसके कारण केवल मंगल और केतु की युति ही नहींबृहस्पति का अतिचारी होनामंगल एवं शनि के बीच षडाष्टकनेप्चून का मेष में आना, 4 मई से लेकर 13 अक्टूबर तक कुंभ में प्लूटो का वक्री होना और आने वाली 7 जुलाई से यूरेनस का भी गुरु के साथ मिथुन में चले जाना है। खासकर यूरेनस के मिथुन में जाने के बाद उत्तरी यूरोप में प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ेंगी। बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भी होंगे। कई जगह मार्ग दुर्घटनाएँ और बिना किसी स्पष्ट कारण के अग्निकांडकहीं-कहीं बंद पड़े ज्वालामुखी का फूटना या नए ज्वालामुखी का विस्फोट जैसी दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।


बच्चों के प्रति सचेत रहें

भारत की कुंडली में मंगल केतु की युति लग्न से चौथे और राशि से दूसरे भाव में बन रही है। परिवार के स्तर पर जिनके घरों में छोटे बच्चे हैं उन्हें गाफिल नहीं रह्ना चाहिए। बच्चों को कहीं अकेले आने-जाने न दें। छोटे-बच्चों के अपहरण के साथ-साथ पारिवारिक हिंसा की घटनाएँ बहुत देखने को मिलेंगी। पठारी या विंध्य-सह्याद्रि जैसी पुरानी पर्वतशृंखलाओं में तो कोई खास दिक्कत नहीं दिखतीलेकिन उत्तर यानी हिमालय की पर्वतशृंखलाओं में बहुत उथल-पुथल दिख रही है। 7 जुलाई से 28 जुलाई के बीच कई जगह भूकंप और भूस्खलन की घटनाएँ हो सकती हैं। कैरेबियन, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर से जुड़े क्षेत्रों में सतर्क रहने की जरूरत है। इन क्षेत्रों में साइक्लोन आ सकते हैं। कहीं समुद्र में अचानक ज्वालामुखी सक्रिय हो जाने से सुनामी जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं। कुछ जगहों पर बादल फटने और आँधी तूफान की घटनाएँ भी हो सकती हैं।

 

सिंह में मंगल-केतु की युति  

मंगल और केतु की युति वैसे तो हर तीसरे साल कहीं न कहीं होती ही है और अच्छा इसे कहीं भी नहीं माना जाता, लेकिन सिंह राशि में यह खास तौर से खतरनाक माना जाता है। इस बार यह जो योग बना है वह पूरे 36 वर्ष बाद बना है। इसके पहले सिंह राशि में मंगल और केतु 1989 में साथ आए थे। अग्नि तत्त्वीय राशि में अग्नि तत्त्व के ही दो ग्रह। मंगल हैं आवेश में काम करने वाले ग्रह और केतु सिर रहित। इसीलिए केतु को जिद्दी भी माना जाता है। क्योंकि उनके पास सोचने और रास्ता बदलने का कोई उपाय ही नहीं है। एक बार जो रास्ता पकड़ लेते हैंउसी पर चलते चले जाते हैं। मंगल तो हैं ही अंगारक। केतु तो चंद्रमा जैसे चंचल ग्रह के साथ बैठकर भी जातक को बेहद जिद्दी बनाते हैं। गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ेगी और अग्निकांड बहुत होंगे। कई जगह विस्फोट हो सकते हैं। विमान दुर्घटनाएँ बढ़ेंगी और उनमें कुछ बड़े रसूखदार व्यक्तियों की जान भी जा सकती है।

 

पिछली बार यानी 1989 में जब यह युति हुई थी, ठीक उसी समय तो नहीं, लेकिन उसके आसपास कई बड़े देशों में सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए थे और कुछ बहुत बड़े परिवर्तन भी हुए थे। इसके पीछे का भी इतिहास देखा जाए तो ऐसी कई घटनाएँ मिलती हैं। इनमें चीन में थेन आन मन चौक पर प्रदर्शनकारी छात्रों पर टैंक चलवाए जाने और सोवियत संघ के टूटने की घटनाएँ शामिल हैं। कुल मिलाकर यह राजसत्ता को हिलाने वाला समय होता है। एक तरह से कह सकते हैं कि इसी बीच दुनिया भर में आगे होने वाले बहुत बड़े परिवर्तनों की नींव रख दी जाएगी। मंगल केवल सेना ही नहीं, हर उस प्रतिष्ठान का प्रतिनिधित्व करते हैं जहाँ ताकत का इस्तेमाल होता है। इसमें सेना, पुलिस, अर्धसैनिक बलों से लेकर क्रांतिकारी संगठन और आतंकवादी गिरोह तक आ जाते हैं। आतंकवादी घटनाएँ और अग्निकांड बढ़ सकते हैं। सरकार और सैन्य बलों से जुड़े लोगों को सचेत रहना चाहिए।

 

सरकारी तंत्र पर संकट

यह युति सिंह राशि में होने के कारण इसके दायरे में पूरा सरकारी तंत्र आ जाता है। केतु संन्यास एवं मुक्ति से लेकर विद्रोह तक के कारक हैं। इस युति से शनि का षडाष्टक और शनि का राहु से द्विद्वादश संबंध यह संकेत देता है कि इस दौरान जो आंदोलन-प्रदर्शन या दुर्घटनाएँ हो रही हैं, वह दिखने में भले केवल संयोग लगें, लेकिन वह केवल संयोग नहीं है। अभी हाल में अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया वाली दुर्घटना भी संयोगमात्र नहीं है। शनि से मंगल-केतु का षडाष्टक इसमें किसी षड्यंत्र की आशंका बताता है और राहु से शनि का द्विद्वादश इसमें विदेशी हाथ की ओर संकेत करता है। ठीक ऐसे समय में दुर्घटना होना जबकि गुरु अस्त हुए ही हैं और खासकर तब जबकि शनि पर उनकी दृष्टि भी है, खुफिया एजेंसियों और सरकार के बीच तालमेल की ओर इशारा करती हैं। खंगाला जाए तो शायद पता चले कि खुफिया एजेंसियों से कोई ऐसी सूचना आई है जिसे या तो डीकोड करने में सरकारी तंत्र से गलती हुई है, या फिर तंत्र में बैठे लोगों ने नजरअंदाज किया है।

सरकार के खिलाफ कई देशों में आंदोलन होंगे और भारत इससे अछूता नहीं रहेगा। ये आंदोलन प्रायः निहित उद्देश्यों के साथ विदेशी फंड से प्रायोजित होंगे। इतना ही नहीं, केतु के शामिल होने के कारण एशिया और यूरोप के कई देशों के भीतर सुनियोजित दंगों की आशंकाएँ भी दिख रही हैं। ये दंगे नस्ल या संप्रदाय को लेकर हो सकते हैं। बड़े पैमाने पर रक्तपात होंगे। धार्मिक स्थलों के मामले में अभी बहुत सचेत रहना चाहिए। खासकर उन जगहों पर जहाँ भीड़ ज्यादा होती है। खेल और चिकित्सा जगत में भी कुछ आश्चर्यजनक घटनाएँ होंगी। यह आश्चर्य सुखद भी हो सकता है और त्रासद भी। सुखद इस अर्थ में कि कुछ नई खोज हो सकती है और दुखद इस अर्थ में कुछ बड़ा रहस्योद्घाटन हो सकता है। नई खोज अंतरिक्ष की दुनिया में भी हो सकती है और रहस्योद्घाटन कुछ बड़े पदाधिकारियों के बारे में भी हो सकते हैं। इसके चलते कुछ बड़े लोगों को अचानक पद छोड़ने की नौबत आ सकती है और कुछ की तो जमानत अवधि खत्म हो सकती है।


मध्य एशिया और यूरोप  

इन ग्रह स्थितियों से ज्यादा खराब स्थिति मध्य एशिया और यूरोप की दिख रही है। कई देशों में राजनैतिक गतिरोध हो सकते हैं। कुछ विदेशी ताकतों की ओर से भारत में भी परेशानियाँ पैदा करने के लिए साजिश रची जाएगी। आंदोलन-प्रदर्शन और दंगों के जरिये उथल-पुथल की कोशिश की जाएगी, लेकिन फिर ऐसे तत्त्वों से सरकार अभूतपूर्व सख्ती से निबटेगी। भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में भी हालात खराब होंगे। चीन के हालात लगातार बिगड़ते चले जाएंगे। आम जनता के लिए इन स्थितियों में अपनी और रोजी-रोटी की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही बड़ी चुनौती है। रिश्तों को बचा पाना भी कठिन होगा। तलाक की घटनाएँ बढेंगी। सूर्यनारायण और हनुमानजी की आराधना सर्वोत्तम उपाय होगा।

 


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