शुरू हो चुका है अमेरिका का बुरा दौर

॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः ॥

आज लॉस एंजलिस में जो हो रहा है, वह कुछ लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन मुझे इस पर कतई आश्चर्य नहीं है। पिछले दो ग्रहणों से लेकर अमेरिका की जन्मकुंडली तक के विश्लेषण से यही पता चलता है कि अमेरिका की नियति का सबसे बुरा दौर शुरू हो चुका है। यह बात मैं पहले ही कह चुका हूँ कि इसकी शुरुआत प्राकृतिक आपदा से होगी और प्रशांत महासागर के आसपास वाले क्षेत्रों से ही होगी। वही हुआ। हॉलीवुड, जो कि लॉस एंजलिस का ही एक हिस्सा है और प्रशांत महासागर की हा तटवर्ती है, महीनों तक पहले जंगल की आग और फिर बाढ़ ने वहाँ तबाही मचाई। बाद में अमेरिका में कई जगह भूकंप भी आए। प्राकृतिक आपदाओं का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके पहले ही दंगे शुरू हो गए। ये दंगे भी व्यापक रूप लेते दिख रहे हैं। मैंने अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले ही कहा था कि नया राष्ट्रपति डीप स्टेट के प्यादे से ज्यादा कुछ नहीं होगा। हालाँकि तब मेरे कई निकट मित्रों को ऐसा लगा था कि ट्रंप हार जाएंगे। शायद बाइडेन फिर से जीत जाएँ। कई लोगों ने यह बात कही भी थी और मैंने मना नहीं किया था।






मैंने मना इसलिए नहीं किया था क्योंकि मेदिनी ज्योतिष के अधीन किसी विषय पर विचार करते हुए कभी व्यक्तियों के बारे में नहीं सोचता। मेदिनी ज्योतिष के विचार का यह विषय ही नहीं है। उसमें विचार का विषय है दुनियादेशराज्य या कम से कम शहर। व्यक्ति नहींएक पूरा समूह। वास्तव में यह समष्टि को ही व्यष्टि के रूप में देखने का विज्ञान है। हमारी समस्या यह है कि हम ज्योतिष को व्यक्ति और घटनाओं से आगे सोच ही नहीं पाते। हमारी सोच कुल मिलाकर चमत्कार तक सीमित हैऔर ज्योतिष वह विद्या है जिसका चमत्कार से कोई संबंध ही नहीं है। यहाँ तक कि वैदिक ज्योतिषजिसे वेद की आँख कहा गया हैका नियति या भाग्य से भी कुछ लेना-देना नहीं है। इसका सीधा संबंध प्रारब्ध से है और प्रारब्ध कर्म और फल का प्रवाह हैजन्म-जन्मांतर तक निरंतर प्रवाह।

 

इस दृष्टि से विचार करें तो मेदिनी का विषय यह नहीं है कि राजा कौन व्यक्ति बनेगाउसका विषय यह है कि राज्य का क्या होगा। जो राजा बनेगा उसका व्यवहार क्या होगाउसकी मानसिक और भावनात्मक या आत्मिक दशा क्या होगी। वह कितना और किस तरह काम कर सकेगा। ज्योतिषी लोग इसी आधार परउस निष्कर्ष को नेताओं के व्यवहार और उनकी कुंडली से मिलाकर नए निष्कर्ष निकालते हैं और कह देते हैं कि फलाने बनने वाले हैं। यह सिर्फ कयास होती है।

 

याद करिएकितने लोगों ने कल्पना की थी कि रामप्रकाश गुप्ता कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन जाएंगेकिसी ज्योतिषी को ऐसी कोई आकाशवाणी सुनाई दी थी क्याआपको याद हो किसी ने 2004 में परिणाम आने से पहले बताया हो कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनेंगेअभी हाल में मध्य प्रदेश या राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के चयन से पहले ऐसी कोई भविष्यवाणी?

 

जब मैंने यह कहा था कि अगला राष्ट्रपति डीप स्टेट का प्यादा होगातो इसका कारण यह था कि मुझे अमेरिका आने वाले दिनों में दलदल में फँसता दिख रहा था। वहाँ प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला चल पड़ेगायह मैंने कई और पोस्टों में भी कहा था। फिर कह रहा हूँ। जंगल की आगसमुद्र की बाढ़भूकंपतूफान... इससे आगे भी बहुत कुछ है। कैलिफोर्निया बेहद खतरनाक स्थिति में है।

 

ट्रंप का खुद का जीवन भी खतरे में है। चुनाव के दौरान जो गोली चली थीउसे कुछ विश्लेषकों ने प्रायोजित बताया था। मुझे ऐसा नहीं लगा था। और फिर कह रहा हूँट्रंप पर वह खतरा टला नहीं है। ट्रंप के पूरे व्यवहार पर ध्यान दें। जिस तरह ट्रंप आवेगों में बह रहे हैंकभी किसी भी राष्ट्राध्यक्ष को कुछ भी कह दे रहे हैंक्या आपको लगता है कि यह एक वैश्विक राजनेता या मजा हुआ व्यवसायी बोल रहा हैनहीं लगता कि ट्रंप चल नहीं रहेउन्हें चलाया जा रहा हैयह चलाने वाला और कौन हो सकता है?

 

ध्यान रहेबृहस्पति पिछली बार की तरह कोई एक-दो साल के लिए अतिचारी नहीं हो रहे। इस बार वे 2025 से 2033 और फिर 2034 से 2042 तकबीच में साल-डेढ़ साल की बात छोड़ दें तो लगातार 17 साल तक वे सीधी चाल से चलने नहीं जा रहे हैं। वे या तो अतिचारी होंगे या वक्री। कुल मिलाकर या तो जो लक्ष्य सामने हैउसे शीघ्रातिशीघ्र पूरा कर लेनेया फिर काम का बैकलॉग पूरा करने के मूड में। इस बीच मेदिनी ज्योतिष की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नेप्च्यूनयूरेनस और प्लूटो की भी गति बदलेगी।

 

संकेत यह है कि अमेरिका के दिन बीत गए हैं। थोड़ा समय लगेगालेकिन इसका वैभव और वैश्विक प्रभाव दोनों ही इतिहास का विषय बनने जा रहे हैं। निश्चित रूप से आधुनिक विश्व के इस दादा को कमजोर होने में समय तो लगेगालेकिन इतना भी नहीं कि हमारी पीढ़ी न देख सके। अमेरिका तीसरी बार चंद्रमा की महादशा से गुजर रहा है। मुझे उपलब्ध कुंडली के अनुसार यह महादशा 18 दिसंबर 2019 से शुरू हुई है और 18 दिसंबर 2029 तक चलेगी। इसमें चंद्र, मंगल, शनि, सूर्य और शुक्र की अंतर्दशाएँ बीत चुकी हैं। उस समय शुक्र की अंतर्दशा ही चल रही थी जब पूरा हॉलीवुड जंगल की आग से तबाही का दौर देख रहा था। अब केतु चल रहे हैं। आगे राहु, बुध और गुरु हैं। इनमें से एक भी अमेरिका के लिए लाभकारी नहीं होने वाले हैं। Lagna360 के अनुसार अमेरिका की कुंडली कन्या लग्न की है और इसके लग्न में ही शनि हैं। शनि इसके लग्न में ही हैं। कहने के लिए चंद्रमा अमेरिका के लाभेश हैं, लेकिन लाभ भाव में ही राहु और बुध बैठे हुए हैं। चंद्रमा के घर में राहु का होना कभी भी अच्छा नहीं माना जाता। राहु और बुध के एकादश भाव में होने के नाते अमेरिका का लाभ लगातार बढ़ा। आज वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन अमेरिका हमेशा असुरक्षा की भावना से ग्रस्त रहा है। इस असुरक्षा भावना का ही परिणाम है कि वहाँ आमजन डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों का बहुत ज्यादा शिकार रहा है। साथ ही, अमेरिका एक बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ उतना ही बड़ा कर्जदार होता भी चला गया है। केतु पाँचवें भाव में चंद्रमा के साथ ही बैठे हुए हैं। यानी चंद्रमा के घर में ही बैठकर राहु चंद्रमा पर दृष्टि डाल रहे हैं और ऊपर से केतु साथ ही बैठे हुए हैं। चंद्रमा अत्यंत पीडित हैं। केतु की अंतर्दशा वहाँ दंगों की शृंखला जैसी खड़ी करती दिख रही है। हालाँकि केतु की अंतर्दशा 18 सितंबर को बीत जाएगी, लेकिन उसके बाद भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। क्योंकि आगे राहु की अंतर्दशा है और यह मार्च 2027 तक है। जल-अग्नि-भूकंप और दंगों का भय तो है ही, ट्रंप अपना कार्यकाल पूरा कर सकेंगे, इसमें भी संदेह है।

इस वर्ष की वैश्विक कुंडली और खुद ट्रंप की कुंडली भी इस ओर इशारा करती है कि आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ेंगे। पहले जेलेंस्की, फिर पुतिन और अभी हाल में मस्क के बारे में जो उलटे-पुलटे बयान ट्रंप ने दिए, उनसे भी आप यह परिलक्षित कर सकते हैं कि उनकी दिशा क्या है! बीच में भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच में भी जिस तरह बिन बुलाए मेहमान की तरह कूदे और फिर खुद अपने ही बयान से मुकर भी गए, उससे भी जाहिर होता है कि किस तरह वे एक बेपेंदी के लोटे जैसा व्यवहार कर रहे हैं।

वर्ष कुंडली पर नजर डालें तो पता चलेगा कि राजा और मंत्री तो सूर्य हैं ही, साथ ही दुर्गेश और मेघेश का कार्य भी सूर्यदेव ने अपने पास ही रखा है। बहुत सारे विभाग जब राजा अपने पास खुद रखे ले तो इसका अर्थ यह होता है कि वह हर तरफ अपना हस्तक्षेप चाहता है। एक तरह ऑटोक्रेटिक शासन। यह प्रवृत्ति इस साल अधिकतर राजाओं में दिखेगी। वे जो खुद सोचेंगे, उसी को सर्वश्रेष्ठ मानेंगे और वही करेंगे। ट्रंप इसके शिकार कुछ ज्यादा ही होंगे। इसका खमियाजा अमेरिका को भुगतना पड़ेगा। अमेरिका की कुंडली में बृहस्पति केंद्राधिपत्य दोष से ग्रस्त होकर केंद्र में ही बैठे भी हैं। अतिचारी गुरु, जो कि अब हो ही चुके हैं और थोड़े-बहुत परिवर्तनों के साथ 8 साल तक बजे रहेंगे, अमेरिका को ऐसी कई आपदाओं में फँसाएंगे। निस्संदेह, अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। विश्व की महाशक्ति है। वह एकदम से खत्म नहीं हो जाएगा। लेकिन आने वाले आठ वर्षों में उसे जमीन पर आना पड़ेगा। दुनिया भर में अपनी बादशाहत का रौब छोड़कर सबके साथ एकरस होना पड़ेगा। दुनिया भर पर दादागीरी चलाने वाले अपने पुराने अंदाज को अब उसे भूल जाना होगा।


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