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भक्ति और प्रकृति का अनूठा संगम: भीमाशंकर

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हरिशंकर राढ़ी भीमाशंकर मंदिर का एक विहंगम दृश्य                             छाया : हरिशंकर राढ़ी  भीमाशंकर की पहाड़ियाँ और वन क्षेत्र शुरू होते ही किसी संुदर प्राकृतिक और आध्यात्मिक तिलिस्म का आभास होने लग जाता है। सहयाद्रि पर्वतमाला में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कई मामलों में अन्य ज्योर्तिलिंगों से अलग है, और उसमें सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि यह आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित है, जिसके कारण इसका अंधाधुंध शहरीकरण नहीं हो पाया है। यह आज भी पर्यटकीय ‘सुविधओं’ के प्रकोप से बचा विचित्र सा आनंद देता है। वैसे सर्पीली पर्वतीय सड़कों पर वाहन की चढ़ाई शुरू होते ही ऐसा अनुमान होता है कि हम किसी हिल स्टेशन की ओर जा रहे हैं और कुछ ऐसे ही आनंद की कल्पना करने लगते हैं। किंतु वहां जाकर यदि कुछ मिलता है तो केवल और केवल भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग तथा साथ में समृद्धि प्रकृति का साक्षात्कार। पुणे से लगभग सवा सौ किलोमीटर की कुल दूरी में पर्वतीय क्षेत्र का हिस्सा बहुत अधिक नहीं है, किंतु जितना भी है, अपने आप में बहुत ही रोमांचक और मनोहर है। भीमाशंकर मंदिर का सम्मुख दृश्य           छाया : हरिशंकर राढ़ी     

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