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Showing posts from March, 2014

To Ghrishneshwar

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                                                    घृष्णेश्वर  की ओर:                                                                    -हरिशंकर राढ़ी  हमारा अगला गंतव्य घृष्णेश्वर  ज्योतिर्लिंग और अजंता एलोरा की गुफाएँ थीं। घृष्णेश्वर  ज्योतिर्लिंग और एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र  के औरंगाबाद जिले में हैं और दोनों ही एक दूसरे के बहुत पास पास हैं। हमारे कार्यक्रम में पहले घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का  दर्शन  था और उसके बाद एलोरा। शिरडी  से वहां जाने के लिए औरंगाबाद की बस पकड़नी थी। यद्यपि हम लोग एक जीप भर की सवारी थे किंतु अनजान सी जगह पर जाते समय प्रायः मैं सरकारी बसों को तरजीह देता हूं। शिरडी  से औरंगाबाद लगभग डेढ़ सौ किमी है और यात्रा में पांच घंटे लग जाते हैं।लेकिन , शिरडी  से औरंगाबाद के लिए बसों की कमी नहीं है।  घृष्णेश्वरमंदिर का शिखर :     छाया : हरिशंकर राढ़ी   औरंगाबाद हम लोग लगभग एक बजे अपराह्न में पहुंचे  थे। शिरडी  की तुलना में यहां भाषा  में कुछ दिक्कतें आती हैं, पर ज्यादा नहीं। औरंगाबाद से घृष्णेश्वर  अधिक दूर नहीं है। लगभग 30 किमी होगा, परंतु यहां के लिए बसे

ब्रांड के आदी मुंबईकरों ने पहचानी जेनरिक की महत्ता

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मुंबई शहर अपने आप में एक ब्रांड है। यहाँ रहने वाले लोग भी ब्रांडेड हैं। उनके कपड़े, गाड़िया सब के सब ब्रांडेड हैं, यहाँ तक की उनकी सोच भी ब्रांडेड हो गयी है। जाहिर सी बात है कि ये तथाकथित ब्रांडेड लोग दवाइयां भी ब्रांड देखकर खरीदते हैं। लेकिन जब जेनरिक मेडसिन के बारे में इन्हें जानकारी मिली तो उन्हें जेनरिक पर भरोसा हुआ और ब्रांड का मोह भंग हो गया। और इस शुभ कार्य में कड़ी का कार्य प्रसिद्ध पर्यावरणविद दंपति नूसरत खत्री और अफजल खत्री ने किया। उन्होंने  “ स्वस्थ भारत विकसित भारत ”  अभियान चला रही संस्था प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह को मुंबई के मालाड स्थित रहेजा टिपको हाइट्स के क्लब हाउस में जेनरिक मेडसिन पर व्याख्यान देने के लिए बुलाया। व्याख्यान सुनने पहुंचे लोगों के मन में जेनरिक दवाइयों को लेकर तरह-तरह के भ्रम थे। वे ब्रांड से इतर कुछ समझने के लिए शुरू में तैयार नहीं थे लेकिन जैसे-जैसे आशुतोष कुमार सिंह ने उनके मन के अंदर के भ्रम को दूर किया, उन्हें लगा कि दवाइयों में ब्रांड की जरूरत नहीं है। आशुतोष कुमार सिंह ने अपने व्याख्यान में इस बात

दवाई उद्योग का असली फार्म्युला

ये दो अलग-अलग विषयों पर की गई फेसबुकीय टिप्पणियां हैं. टिप्पणियां अपने ही एक पोस्ट पर आशुतोष कुमार सिंह ने की हैं. ब्लॉग की दुनिया से जुड़े लोग भी जान सकें, इस इरादे से इसे यहां दे रहा हूं. हिन्दुस्तान के बाजारों में जो कुछ भी बिक रहा है अथवा बेचा जा रहा है उसकी मार्केटिंग का एक बेहतरीन फार्मुला है भ्रम फैलाओं , लोगों को डराओं और मुनाफा कमाओं। जो जितना भ्रमित होगा , जितना डरेगा उससे पैसा वसूलने में उतना ही सहुलियत होगी। डर और भ्रम को बेचकर   मुनाफा कमाने की परंपरा तो बहुत पुरानी रही है , लेकिन वर्तमान में इसकी होड़ मची हुई है। लाभ अब शुभ नहीं रह गया है। लाभालाभ के इस होड़ में मानवता कलंकित हो रही है। मानवीय स्वास्थ्य से जुड़ी हुई दवाइयों को भी इस होड़ ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। दवाइयों की भी ब्रान्डिंग की जा रही है। दवाइयों को लेकर कई तरह के भ्रम फैलाएं जा रहे हैं। दवाइयों के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है।   ब्रांडेड व जेनरिक दवाइयों को लेकर हिन्दुस्तान के मरीजों को भी खूब भ्रमित किया जा रहा है। मसलन जेनरिक दवाइयाँ काम नहीं करती अथवा कम काम करती हैं। जबकि सच्चाई यह है कि

जेनरिक के बारे में जागरूक हुईं महिलाएं

मुंबई में जेनरिक दवाओं के बारे में महिलाओं की जागरूकता के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस जेनरिक व्याख्यान की सबसे बड़ी विशेषता यह रही की जितनी भी महिलाएं आयीं थी उन सबने खुलकर जेनरिक के बारे में सवाल-जवाब किया और अंत में जेनरिक दवाइयों के भ्रम से मुक्त होकर लौटीं। स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान के अंतर्गत जेनरिक लाइए पैसा बचाइए कैंपेन चला रही संस्था प्रतिभा जननी सेवा संस्थान(पी.जे.एस.एस) के नेशनल-को-आर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि भारत जैसे गरीब देश में आम लोगों को सस्ती दवाइयों के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है। इस संदर्भ में जेनरिक दवाइयों का प्रचलन एक रास्ता हो सकता है। वो जोगेश्वरी स्थित बिमल अपार्टमेंट में आयोजित जेनरिक लाइए पैसा बचाइए कैंपेन के तहत आयोजित सेमिनार में स्थानीय महिलाओं को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की शुरूआत में पी.जे.एस.एस द्वारा चलाए जा रहे ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत’ अभियान के बारे में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से संस्था के चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि किस तरह से संस्था ने पिछले दो वर्षों में दवाइयों कीम

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