संग रहते हैं
धूप में
डूबे हुए
जलरंग कहते हैं.
रेत के
सागर में
हमारे अंग बहते हैं
कई घरों की
छीन कर
रश्मियों का
रथ रुका है.
जूझते
रह कर
निरंतर
जिनसे
हमारा
मन थका है.
हर पल
विडम्बित
हम उन्हीं के
संग रहते हैं.
वर्जनाओं की
कठिन
वेदी पर
सुखद संत्रास ऐसे.
कर रही हो
धारा यहाँ
काल का
उपहास जैसे.
किसको पता है
किस तरह
टूटकर
क्रमभंग सहते हैं.
इष्ट देव सांकृत्यायन
डूबे हुए
जलरंग कहते हैं.
रेत के
सागर में
हमारे अंग बहते हैं
कई घरों की
छीन कर
रश्मियों का
रथ रुका है.
जूझते
रह कर
निरंतर
जिनसे
हमारा
मन थका है.
हर पल
विडम्बित
हम उन्हीं के
संग रहते हैं.
वर्जनाओं की
कठिन
वेदी पर
सुखद संत्रास ऐसे.
कर रही हो
धारा यहाँ
काल का
उपहास जैसे.
किसको पता है
किस तरह
टूटकर
क्रमभंग सहते हैं.
इष्ट देव सांकृत्यायन
A87807C073
ReplyDeletemmorpg oyunlar
Aşk Acısı Kalbe Zarar Verir mi
Bitlo Güvenilir mi
Fake Takipçi
Instagram Takipçi Arttırma