हर बात में कहते हैं वो मुझसे कि तुम्हे क्या ? माली चमन को लूट के खाए तो तुम्हे क्या ? सुनवाई हुई पूरी सज़ा बरकरार है - फांसी पे न हम उसको चढ़ाएं तो तुम्हे क्या? ज़म्हूरियत में चुनना सिर्फ सबका फ़र्ज़ है - रहज़न उम्मीदवार है तो इससे तुम्हे क्या ? दर दर पे सिर झुकाके है सेवा का व्रत लिया- फिर पांच साल हाथ न आयें तो तुम्हे क्या ? मेरे ही बुजुर्गों ने बसाई थीं बस्तियाँ - मैं आग अगर उनको लगाऊं तो तुम्हे क्या ? इस देश का पैसा तो विदेशों में जमा है - इस देश में वापस नहीं लाएं तो तुम्हे क्या ? यह माना पातिव्रत्य तेरा संस्कार है - तेरा पति मेरे साथ सो जाए तो तुम्हे क्या ? मेरा वज़ीरेआज़म तो ईमानदार है- आरोपों की न जांच कराए तो तुम्हे क्या ? विनय ओझा 'स्नेहिल'
Bhairo Baba :Azamgarh ke
स्थानीय आस्था के केंद्र : आजमगढ़ के भैरव बाबा -हरिशंकर राढ़ी आस्था तो बस आस्था ही होती है, न उसके पीछे कोई तर्क और न सिद्धांत। भारत जैसे धर्म और आस्था प्रधान देश में आस्था के प्रतीक कदम-दर कदम बिखरे मिल जाते हैं। यह आवश्यक भी है। जब आदमी आदमी और प्रकृति के प्रकोपों से आहत होकर टूट रहा होता है, उसका विश्वास और साहस बिखर रहा होता है तो वह आस्था के इन्हीं केंद्रों से संजीवनी प्राप्त करता है और अपने बिगड़े समय को साध लेता है। भारत की विशाल जनसंख्या को यदि कहीं से संबल मिलता है तो आस्था के इन केंद्रों से ही मिलता है। तर्कशास्त्र कितना भी सही हो, इतने व्यापक स्तर पर वह किसी का सहारा नहीं बन सकता ! भैरव बाबा मंदिर का शिखर : छाया - हरिशंकर राढ़ी ऐसे ही आस्था का एक केंद्र उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में महराजगंज बाजार स्थित भैरव बाबा का विशाल एवं अति प्राचीन मंदिर है। प्रशासनिक स्तर पर महराजगंज ब्लॉक भले ही विख्यात हो, भैरव जी की महत्ता और लोकप्रियता दूर-दूर तक फैली है। श्रद्धा और आस्था की दृष्टि से महराजगंज भैरव