चोरी के मामले में इस्लाम वाला कानून सही

ले लोटा, इ बतवा तो बिल्कूल सही है कि यहां लोग बिजली के तरवे काट लेता है,और उसको गला-गुलाकर के बेचकर दारू पी जाता है या सोनपापड़ी खा जाता है। इहां के अदमियन के कोई कैरेक्टरे नहीं है। लगता नहीं कि बिना डंडा के ये सुधरेंगा सब.
मेरे गंऊआ में एक पहलवान जी थे, किसी को भी दबाड़ देते थे। उन्हीं की कृपा से आज तक मेरे गंऊआ बिजली नहीं आयी, जबकि सरकार ने सबकुच पास कर दिया था, यहां तक की तार और पोल भी गिर गये थे। पहलवान जी की अपनी समस्या थी। अपनी बीवी की जब और जैसे इच्छा होती थी भरमन कुटाई करते थे। उनकी कुटाई से त्रस्त आकर वह कई बार कुइंया में छलांग मार चुकी थी, लेकिन हर बार पहलवान जी रस्सी डोल डालकर उसे निकाल लेते थे, और फिर कूटते थे, दे दना, दे दना, दे दना दन।
जब गांव में बिजली आने की बात हुई तो किसी ने पहलवान जी के कान में यह बात डाल दी कि गांव में जितनी भी औरतों की कुटाई हो रही है वो बिजली का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रही हैं, क्योंकि बिजली के तार में लटककर मरना आसान है। फिर क्या था पहलवान जी ने बिजली के खिलाफ शंख फूंक दिया। कसकी मजाल जो पहलवान जी से पंगा ले....गांव वालों ने समझाया, इंजीनियरों ने समझाया...सब बेकार। ऊ पहनवान जी की बुद्दि के कारण आज तक मेरा गंउया बिजली के लिए तरस रहा है।
लगता है कि यहां के आदमी के कैरक्टरे में कुछ गड़बड़ी है, सही चीज को उलटे तरीके से ही सोचेगा। भारत में अइसा कोई गांव नहीं है जहां पर लोग अकुसा फंसाकर बिजली नहीं चुराता है, गांव तो छोड़ दीजिये...शहरों में भी एक से एक तुरमखान हैं।
दिल्ली के लक्ष्मी नगर में मेरा मकान मालिक की बेटी रात होते ही मीटर से कनेक्शन हटाकर अकुसा सटा देती थी, और सुबह-सुबह बदल देती थी...ना, यहां के लोगों में करेक्टरे नहीं है...हर जगह के लोगों में एक नेशनल कैरक्चवा होता है....शायद यहां के लोगों का नेशनल करेक्टरवा यही है....इसका कराण क्या है. चिंता के बात है, यही करेक्टरवा नेतवन सब में दिखाई देता है. रास्ता तो निकालना है....अपने लेवह पर पूरी कोशिश करनी है...कोई कोर कसर नहीं छोड़ना है...कभी-कभी लगता है कि चोरी के मामले में देश में इस्लाम वाला कानून लागू कर देने से एक ही बार में सब ठीक हो जाएगा।

Comments

  1. बहुत बढ़िया लेख ! बस पहलवान की पत्नी से शिकायत है , जिस प्रेम से पहलवान जी कूटते थे उसी प्रेम से उन्हें अपने को कुटवाते भी रहना चाहिए था । गाँव में बिजली व बिजली चोरी दोनों आ जाते ।
    घुघूतीबासूती

    ReplyDelete
  2. आपकी शिकायत जायज है। ऐसे लोगो के कारण तो सरकार बाकियों से बिजली का ज्यादा मुल्य वसूलती है।लेकिन इस के लिए भी बिजली वालों की मिलीभगत एक कारण है। जो अपनी जेब भरने के लिए यह सब करवातें हैं।बढिया लेख है।

    ReplyDelete
  3. ठीक कहा आपने .
    हमारे यहाँ तो बिजली चोरी मे मुश्किल होती है सोचो क्यों ..........क्योकि बिजली आती ही कम है .

    ReplyDelete
  4. कभी-कभी लगता है कि चोरी के मामले में देश में इस्लाम वाला कानून लागू कर देने से एक ही बार में सब ठीक हो जाएगा।
    -----------
    सही बात। पाकिस्तान और साउदी अरेबिया में घरों में दरवाजे की जरूरत नहीं है शायद।

    ReplyDelete
  5. बिलकुल सही कहा आप ने , लेकिन पहले हमे भी तो जागरुक होना चाहिये, इन्हे रोकना चाहिये, इन पर लानत भेजनी चाहिये इन की रिपोर्ट करनी चाहिये.
    धन्यवाद,हम सब भी पहलवान जेसे ही है....

    ReplyDelete
  6. वैसे आलोक जी! आपको उ पहलवान जी का एहसान मानना चाहिए, जे आपके गउआ को बिजली के लत नहीं लगने दिए. नहीं तो सच मानी गउआ में जिन-जिन को ई लत लगी, बेचारे सबै पछता रहे हैं. ऊ निश्चित रूप से सरकार और जनता दूना के बड़े भरी शुभचिन्तक हैं.

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Bhairo Baba :Azamgarh ke

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का

आइए, हम हिंदीजन तमिल सीखें